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कांग्रेस विधायक नीतू सिंह का बड़ा बयान, कहा-आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए

कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने पार्टी लाइन से अलग हटकर आरक्षण का आधार आर्थिक करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए जाति नहीं। उन्होंने कहा कि सवर्णों में भी गरीबी बढ़ी है।

Reported By : Nitish Chandra Edited By : Niraj Kumar Updated on: November 09, 2023 23:57 IST
Nitu singh, congress MLA- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी नीतू सिंह, कांग्रेस विधायक

पटना: कांग्रेस विधायक नीतू सिंह का कहना है कि आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए न कि जाति के आधार पर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातीय गणना के आंकड़े बता रहे हैं कि सवर्णों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। उनमे भी ज्यादा ग़रीबी है, इसलिए आरक्षण का आधार आर्थिक होना चाहिए। नीतू सिंह ने कहा कि जिस तरह से अन्य जातियों का आरक्षण बढ़ाया जा रहा है उसी तरह सवर्णों का भी आरक्षण बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण संशोधन बिल में EWS के 10 प्रतिशत आरक्षण का जिक्र नहीं किया गया है, ये सही नहीं है।

ईडब्ल्यूएस का आरक्भीषण बढ़ाना चाहिए

नीतू सिंह का कहना जब सवर्ण कमजोर हुआ तो उनके लिए भी अलग से आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। 10 प्रतिशत तो ईडब्ल्यूएस के लिए है ही, लेकिन हम इससे भी ज्यादा की मांग रखेंगे। नीतू सिंह ने कहा कि सर्वे के आधार के साथ ही हम लोग भी क्षेत्र में घूमते हैं और ये देखते हैं सवर्ण बहुत कमजोर हुआ है। नीतू सिंह ने कहा कि मैं पार्टी के फोरम पर भी अपनी बात रखूंगी और माननीय मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मिलकर भी अपनी बात रखूंगी और चर्चा की मांग करूंगी।

नंदकिशोर यादव ने जताई थी शंका

बता दें कि EWS के आरक्षण का जिक्र बिल में नहीं होने को लेकर विधानसभा में बीजेपी नेता नंदकिशोर यादव ने भी आशंका जताई थी, जिस पर विजय चौधरी ने कहा था कि ये आशंका गलत है। EWS का आरक्षण दूसरे एक्ट के जरिये है इसलिए यहां संशोधन बिल में उसका जिक्र नहीं किया गया है।

सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीब भूमिहार

बिहार विधानसभा में पेश जाति आधारित जनगणनाा की रिपोर्ट के अनुसार सामान्य वर्ग यानि सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीबी भूमिहारों में है। राज्य में 27.58 प्रतिशत भूमिहार आर्थिक रूप से गरीब हैं। भूमिहार परिवारों की संख्या 8 लाख 38 हजार 447 है, जिनमें 2 लाख 31 हजार 211 परिवार गरीब हैं। हिन्दू सवर्णों में गरीबी के मामले में ब्राह्मण दूसरे नंबर पर हैं। जाति जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक 25.32 प्रतिशत ब्राह्मण परिवार गरीब हैं। बिहार में ब्राह्मण जाति के कुल 10 लाख 76 हजार 563 परिवार हैं, इनमें से 2 लाख 72 हजार 576 परिवार गरीब हैं।

जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य वर्ग में गरीबी के मामले में तीसरे नंबर पर राजपूतों की संख्या है। जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक राजपूतों में 24.89 प्रतिशत आबादी गरीब है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में राजपूतों के 9 लाख 53 हजार 447 परिवार हैं, जिनमें 2 लाख 37 हजार 412 परिवार को गरीब माना गया है। वहीं, कायस्थों को सबसे ज्यादा संपन्न बताया गया है। सरकार के अनुसार बिहार में कायस्थों के सिर्फ 13.83 परसेंट लोग ही गरीब हैं। बिहार में कायस्थों के कुल परिवारों  की संख्या 1 लाख 70 हजार 985 है। इसमें 23 हजार 639 परिवार ही गरीब हैं।

जाति जनगणना में गरीब परिवार

  1. सामान्य वर्ग में 25.09 फीसदी गरीब परिवार 
  2. पिछड़ा वर्ग में 33.16 फीसदी परिवार गरीब 
  3. अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 फीसदी गरीब परिवार 
  4. अनुसूचित जाति में 42.93 फीसदी गरीब परिवार 
  5. अनुसूचित जनजाति में 42 .70
  6. अन्य प्रतिवेदित जातियों में 23.72 फीसदी गरीब

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