नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके पिता रामविलास पासवान ने राहुल गांधी से मिलने के लिए महीनों तक प्रयास किया, लेकिन राहुल गांधी ने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद उनकी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया।
चिराग पासवान ने 10 साल बाद खोला राज
चिराग पासवान ने 10 साल के पहले राजनीतिक घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए इस बात का स्मरण किया कि वह और उनके पिता तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) में अपनी पार्टी के भविष्य पर चर्चा करने के लिए अक्सर सोनिया गांधी से मिलते थे तथा उसी दौरान सोनिया गांधी ने रामविलास पासवान को राहुल गांधी से मिलने का सुझाव दिया। चिराग पासवान ने कहा, ‘‘रामविलास पासवान ने मिलने का समय मांगा और तीन महीने से अधिक समय तक इंतजार किया, लेकिन राहुल गांधी तैयार नहीं हुए।
रामविलास कांग्रेस के साथ बने रहना चाहते थे
उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान इसके बावजूद संप्रग में बने रहने के इच्छुक थे और राहुल गांधी से चर्चा करना चाहते थे। चिराग पासवान के मुताबिक, वह उस वक्त भाजपा के साथ गठबंधन के इच्छुक थे। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह मेरे लिए अच्छा था। अगर बैठक हुई होती, तो मेरे लिए अपने पिता को भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल होने के लिए मनाना मुश्किल होता। चिराग पासवान ने कहा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति अपने सम्मान के कारण भाजपा के साथ गठबंधन को प्राथमिकता दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘2013 तक, हम संप्रग में थे और मुझे अच्छी तरह याद है कि मेरे पिता गठबंधन छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। वह उस गठबंधन में बने रहना चाहते थे और मेरे लिए उन्हें गठबंधन बदलने के लिए मनाना बेहद मुश्किल था।’’ रामविलास पासवान का 2020 में निधन हो गया। वर्ष 2014 में उन्होंने जब भाजपा के साथ गठबंधन करने का निर्णय लिया, तो वह उस समय बडी सुर्खियां बना और इससे भाजपा को माहौल बनाने तथा गठबंधन के विस्तार में मदद मिली।
गठबंधन टूटने के लिए राहुल गांधी को बताया जिम्मेदार
चिराग पासवान ने इस बात का खुलासा किया कि तत्कालीन लोजपा के संप्रग से अलग होने और भाजपा के साथ जाने के कारणों में से एक वजह राहुल गांधी ही थे। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मेरे पिता के संप्रग छोड़ने का एक कारण यह था कि वह राहुल जी से नहीं मिल सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता, राहुल जी से मिलने के लिए तीन-चार महीने तक कोशिश करते रहे और एक भी मुलाकात नहीं हो सकी। मुझे लगता है कि यही एक कारण था कि मेरे पिता बहुत परेशान थे। वरिष्ठ नेताओं में से एक और संप्रग में एक महत्वपूर्ण सहयोगी होने के बावजूद, राहुल गांधी ने उन्हें मिलने का समय नहीं दिया।
चिराग पासवान ने कहा कि इसके बाद से उन्होंने राजनीति के प्रति राहुल गांधी के रवैये में कुछ बदलाव देखा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने शुरू में राजनीति के प्रति बहुत अनिच्छा दिखाई, लेकिन हाल ही में उन्होंने अधिक जिम्मेदारी लेने के संकेत दिए हैं। हालाकि, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष पर ‘‘व्यक्तिगत हमलों’’ के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के भाषण की आलोचना की और कहा कि इसमें विभिन्न धर्मों का भी अपमान किया गया है। मोदी के प्रति उनके सम्मान के बारे में पूछे जाने पर चिराग पासवान ने कहा कि उन्होंने उन्हें तब देखना शुरू कर दिया था, जब उनकी पार्टी राजग का हिस्सा नहीं थी।
चिराग ने लालू परिवार के बारे में कही ये बात
उन्होंने कहा कि गठबंधन में शामिल होने के फैसले का मुख्य कारण प्रधानमंत्री के साथ उनका जुड़ाव था। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध बनाए रखना अपने पिता से सीखा है, उन्होंने कहा कि वह अक्सर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूते हैं और तब भी करते थे, जब वह उनकी नीतियों के आलोचक हुआ करते थे। चिराग पासवान ने राजद नेता लालू प्रसाद यादव को ‘पिता तुल्य’ और उनके बेटे तेजस्वी यादव को ‘छोटा भाई’ बताया, जबकि इस बात पर जोर दिया कि यह रिश्ता व्यक्तिगत स्तर पर है।
इनपुट-भाषा