हमारे देश में कहा जाता है कि एक बार अगर कोई शख्स ठीक-ठाक नेता बन जाए तो उसके वारे-न्यारे हो जाते हैं। अगर कोई विधायक बन जाए तो उसकी कई पीढ़ियां सुधर जाती हैं और अगर कोई मंत्री बन जाए तो फिर तो सियासी रुतबा, गाड़ियों के लंबे काफिले, लग्जरी जीवन, लाव लश्कर और अटूट दौलत उसके जीवन का हिस्सा हो जाते हैं। लेकिन आज के समय में कुछ मंत्री ऐसे भी हैं जो राजनेताओं वाले इस लाव लश्कर से बहुत दूर एक साधारण किसान की तरह जीवन यापन कर रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण हैं बिहार के श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम।
खुद चारा काटकर जानवरों को खिला रहे मंत्री
बिहार के श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम, जो छपरा के गरखा विधानसभा से विधायक हैं, वीडियो में आप उनके साधारण जीवन को देख सकते हैं। जहां आमतौर पर मंत्री का दर्जा मिलते ही नेता जी के जीवन में काफिले में लाव लश्कर और लग्जरी जीवन सबसे पहले जुड़ जाता है, वहीं दूसरी तरफ बिहार के ये मंत्री ऐसे हैं जिनको देखकर आपको यही लगेगा कि यह मंत्री नहीं, बल्कि एक किसान हैं। तस्वीरों को देखकर आप सहज अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि पीली शर्ट और हाफ पैंट पहने चारा काट रहे और पशुओं को चारा खिला रहे यह व्यक्ति कोई साधारण आदमी नहीं बल्कि बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री हैं।
"मजदूर का बेटा, मजदूरों का मंत्री"
छपरा जिले के गरखा विधानसभा से पहली बार विधायक बने और महागठबंधन की सरकार में श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम को देखकर आप अंदाजा नहीं लगा पाएंगे कि जिस व्यक्ति को गाय का चारा काटते और खिलाते देख रहे हैं, वह व्यक्ति साधारण नहीं बिहार सरकार का मंत्री है। कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र राम की जीवन शैली में ना कोई बनावट है और ना ही कोई दिखावा। वे बस अपनी मां के साथ मगन होकर अपना काम कर रहे हैं। लोग जब मंत्री बनते हैं तो उनकी कई पुस्ते सुधर जाती हैं। मंत्री सुरेंद्र राम भी यह खुद कहते हैं कि मजदूर का बेटा, मजदूरों का मंत्री है। मंच से कही उनकी इन बातों को लोग भले ही महज भाषण समझते हों लेकिन ये तस्वीरें उनके जीवन की हकीकत बयान कर रही हैं, जिसे देखकर भी लोगों को यह मानना पड़ेगा कि सामाजिक न्याय में ही गरीबों और मजदूरों मान सम्मान मिल सकता है।
(रिपोर्ट- बिपिन, छपरा)
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