Highlights
- चारा घोटाले में सजायाफ्ता हैं बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव
- जमानत याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट में हुई बहस पूरी
- आगे की सुनवाई के लिए अदालत ने दी 22 अप्रैल की तारीख
पटना: चारा घोटाले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर शुक्रवार को उनके वकील कपिल सिब्बल ने अपनी बहस पूरी कर ली। सिब्बल ने दावा किया कि डोरंडा कोषागार से गबन के मामले में उन्हें मिली पांच वर्ष कैद की सजा की आधी से अधिक अवधि पहले ही लालू यादव जेल में बिता चुके हैं लिहाजा उन्हें जमानत दी जानी चाहिए। इसके बाद अपना जवाब देने के लिए CBI ने समय मांगा और अदालत ने आगे की सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख दी है।
लालू प्रसाद यादव की जमानत पर शुक्रवार की सुनवाई झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की अदालत में हुई। अपरेश कुमार सिंह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए यह मामला शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध था। पहली अप्रैल को न्यायाधीश के अदालत में नहीं बैठने की वजह से लालू की जमानत पर सुनवाई नहीं हो सकी थी और सुनवाई स्थगित कर दी गयी थी। कपिल सिब्बल ने कहा कि चारा घोटाले के डोरंडा मामले में लालू प्रसाद यादव को अदालत ने पांच साल कैद की सजा दी है जबकि वह अब तक लगभग चार वर्ष की अवधि जेल में बिता चुके हैं।
सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा चारा घोटाले में जमानत के लिए सजा की आधी अवधि पूरा कर लेने के नियम को देखते हुए लालू यादव को जमानत दी जानी चाहिए। लालू के रांची स्थित अधिवक्ता देवर्षि मंडल ने बताया कि इस मामले में बहस पूरी हो जाने के बाद लालू प्रसाद यादव के चारा घाटाले के डोरंडा कोषागार मामले में भी जमानत पर रिहा हो जाने की संभावना है। इस मामले में लालू प्रसाद यादव को 21 फरवरी को सजा सुनाई गयी थी। लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका में बढ़ती उम्र और 17 प्रकार की बीमारी होने का हवाला दिया गया है।
इससे पहले 22 मार्च को चारा घोटाले में यहां सजा भुगत रहे राजद प्रमुख लालू को किडनी में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए रिम्स के मेडिकल बोर्ड की सलाह पर उनकी बेटी मीसा भारती विशेष विमान से अपने साथ दिल्ली स्थित एम्स ले गयी थीं। इससे पहले इस साल 21 फरवरी को चारा घोटाले के तहत डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये के गबन के मामले में दोषी करार दिए गये राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख 73 वर्षीय लालू प्रसाद यादव को सीबीआई की विशेष अदालत ने पांच वर्ष की कैद एवं 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी। इसके चलते एक बार फिर उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था