बिहार में लंबे समय से जाति आधारित जनगणना को लेकर सियासत गरम होती रही है। राज्य और केंद्र सरकार कई बार आमने-सामने आ चुकी हैं और अब जब केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की मांग नहीं मानी, तब बिहार सरकार ने अपने खर्च पर इसे कराने का फैसला किया है। काफी खींचतान के बाद आज से बिहार में जाति आधारित जनगणना शुरू हो रही है। करीब 500 करोड़ के खर्च से इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। नीतीश कुमार का दावा है कि जाति आधारित जनगणना के नतीजों से विकास को तेज किया जा सकेगा।
दो चरणों में पूरी होगी जातीय जनगणना
तमाम राजनीतिक खींचतान के बाद आखिरकार बिहार में आज से जाति जनगणना शुरू हो रही है। बिहार में जाति आधारित जनगणना के लिए राज्य सरकार करीब 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसे दो चरणों में पूरा किया जाना है। पहला चरण 7 से 21 जनवरी तक चलेगा और दूसरा चरण 1 अप्रैल से शुरू होकर 30 अप्रैल तक चलेगा। बता दें कि जातीय जनगणना के पहले चरण में केवल मकानों की गिनती की जाएगी और फिर दूसरे चरण में जातियों की गिनती कर डेटा जुटाया जाएगा।
- पहला चरण में ऐसे होगी गणना
आज से जो पहला चरण शुरू हो रहा उसके तहत हर मकानों की नंबरिंग की जाएगी। आवासीय मकानों की गिनती के दौरान भवन संख्या लिखे जाएंगे। इसके बाद मकान का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है, यह नोट किया जाएगा। घर के मुखिया का नाम और साथ ही परिवार में सदस्यों की संख्या भी नोट की जाएगी। इसके अलावा बाहर रहने वालों की जानकारी भी पूछताछ और सबूतों के आधार पर की जाएगी।
- दूसरे चरण में जुटाया जाएगा ये डाटा
इसके बाद दूसरा चरण यानी 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक जाति और आर्थिक दोनों पर सवाल किए जाएंगे। इस चरण में लोगों से शिक्षा का स्तर पूछा जाएगा। इसके साथ ही लोगों की नौकरी की कैटेगरी पूछी जाएगी। घर में कितनी गाड़ी और मोबाइल हैं, ये भी सवाल होंगे। इसके अलावा सबसे अहम सवालों में आय के साधन भी हैं। इसी के साथ परिवार में कमाने वाले सदस्यों की जानकारी और एक व्यक्ति पर कितने लोग निर्भर हैं, ये भी पूछा जाएगा। दूसरे चरण के दौरान लोगों की मूल जाति, उप जाति के बारे में डेटा जुटाया जाएगा।
जातीय जनगणना करने वाला बिहार तीसरा राज्य
बताते चलें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे केवल जाति आधारित जनगणना नहीं बल्कि विकास के लिए जरूरी करार दिया है। जातीय जनगणना करने वाला बिहार देश में तीसरा राज्य है। नीतीश कुमार चाहते थे कि केंद्रीय जनगणना में ही जातीय जनगणना कराया जाए। लेकिन केंद्र सरकार के इनकार के बाद बिहार सरकार ने खुद ही इसे कराने का फैसला किया। इसका नोटिफिकेशन पिछले साल जून में जारी किया गया था, लेकिन सियासी खींचतान और ट्रेनिंग की वजह से ये अब शुरू हो रहा है।