पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोजपा के सुप्रीमो पशुपति कुमार पारस को भवन निर्माण विभाग ने सात दिन के अंदर राष्ट्रीय लोजपा के कार्यालय वाला सरकारी बंगला खाली करने को कहा है। इससे पहले भी भवन निर्माण विभाग के संयुक्त सचिव की तरफ से 22 अक्टूबर को एक पत्र जारी कर कहा गया था कि 15 दिनों के अंदर दफ्तर खाली किया जाए, लेकिन बंगला खाली नहीं किया गया। अब विभाग की तरफ से साफ कर दिया गया है कि यदि निर्धारिस समयसीमा पर बंगला खाली नहीं हुआ तो उसे जबरन खाली कराया जाएगा।
30 जून 2006 को लोक जनशक्ति पार्टी को कार्यालय के लिए सरकारी बंगला आवंटित किया गया था। नोटिस को लेकर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की तरफ से कहा गया कि हाई कोर्ट में मामला लंबित है, लेकिन विभाग का कहना है कि कोर्ट ने इस पर किसी तरह का स्टे नहीं लगाया है। बंगला राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को नहीं, बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी को आवंटित किया गया था। ऐसे में राष्ट्रीय लोजपा का इस भवन से कोई सरोकार नहीं है।
जबरन बंगला खाली कराने की धमकी
भवन निर्माण विभाग की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को निर्देश दिया जाता है कि आदेश प्राप्ति के 7 दिन के भीतर 1 व्हीलर रोड, शहीद पीर अली खान मार्ग, पटना स्थित आवास को खाली किया जाए। निर्धारित समय सीमा के भीतर अगर आवास खाली नहीं किया जाता है तो बाध्य होकर बलपूर्वक आवास को खाली कराया जाएगा।
पशुपति पारस को महंगा पड़ा बंटवारा
रामविलास पासवान के निधन के बाद जून 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई थी। पुशपति पारस सहित पार्टी के पांच सांसद अलग हो गए थे और चिराग पासवान को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। इसके साथ ही राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का गठन हुआ, जिसमें लोक जनशक्ति पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल थे। इसके पीछे हाथ पशुपति पारस का था। इस समय तो उनके सितारे सातवें आसमान पर थे, लेकिन 2024 आते-आते कहानी बदल गई। चिराग ने पहले जमसमर्थन हासिल किया फिर एनडीए गठबंधन में रहते हुए अपने पिता की सीट से टिकट हासिल किया। इसके बाद जीत हासिल कर एनडीए सरकार में मंत्री भी बन गए। उन्हें पीएम मोदी का हनुमान कहा जाता है। वहीं, पशुपति पारस सब कुछ खो चुके हैं और अब पार्टी कार्यालय भी उनसे छिनने जा रहा है।