Highlights
- जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने मंगलवार को पेश आम बजट को राज्य के लिए निराशाजनक बताया।
- कुशवाहा ने ट्वीट किया, ‘केन्द्रीय बजट विकसित राज्यों के लिए ऐतिहासिक परन्तु बिहार के लिए निराशाजनक है।
- वित्त मंत्री ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को अनसुना कर हम बिहारवासियों को निराश किया है: कुशवाहा
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी नीत सरकार पर निशाना साधते हुए मंगलवार को पेश आम बजट को राज्य के लिए निराशाजनक बताया। केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से 2018 में इस्तीफा देने वाले कुशवाहा ने ट्वीट किया, ‘केन्द्रीय बजट विकसित राज्यों के लिए ऐतिहासिक परन्तु बिहार के लिए निराशाजनक है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को अनसुना कर हम बिहारवासियों को निराश किया है।’
‘देश के प्रधान बिहार पर दें ध्यान’
सम्राट अशोक के खिलाफ कथित रूप से गलत टिप्पणी करने वाले साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता नाटककार के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने वाले कुशवाहा ने कहा, ‘देश के प्रधान बिहार पर दें ध्यान।’ गौरतलब है कि उक्त नाटककार को कथित रूप से बीजेपी से जुड़ा बताया जा रहा है, हालांकि पार्टी ने इससे साफ इंकार किया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने इसपर पलटवार करते हुए कहा, ‘यदि केंद्रीय मंत्री रह चुका कोई व्यक्ति बजट में विशेष श्रेणी के दर्जे की घोषणा की उम्मीद करता है, तो ऐसे में उसकी अज्ञानता पर सिर्फ दया आ सकती है।’
‘राज्य के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाया’
जायसवाल ने कहा, ‘मैंने यह पहले भी कहा है और फिर से कह रहा हूं कि बिहार के लिए राजस्व का केंद्रीय हिस्सा महाराष्ट्र जैसे अधिक आबादी वाले और उत्पादक राज्य से अधिक है। यह बिहार जैसे गरीब राज्यों के लिए मोदी सरकार की चिंता को दर्शाता है।’ इस बीच बिहार उद्योग संघ (BIA) के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने केंद्रीय बजट पर कहा, ‘राज्य के आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। हमारी प्रति व्यक्ति सालाना आय 45,000 रुपये है जबकि राष्ट्रीय औसत 1.35 लाख रुपये है।’
‘सभी निर्वाचित प्रतिनिधि अपनी बात रखें’
BIA के पूर्व अध्यक्ष राम लाल खेतान ने सभी दलों के निर्वाचित प्रतिनिधियों से एक साथ आने और अपनी बात रखने का आग्रह करते हुए कहा, ‘पिछड़े राज्य को उसका हक सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।’