बिहार में साल जरूर बदला है, लेकिन हालात हर साल जैसे हैं। भारी बारिश और उफनती नदियों से हाल बेहाल है। वहीं भ्रष्टाचार के पुलों का ढहना भी राज्य में बदस्तूर जारी है। बिहार के गोपालगंज में एक नया पुल बाढ़ में बह गया। एक महीने पहले ही राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सत्तरघाट महासेतु का उद्धाटन किया था। इस पुल की लागत 264 करोड़ आई थी। बुधवार को यह लागत पानी में बह गई।
बता दें कि 16 जून को सीएम नीतीश कुमार ने पटना से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गोपालगंज के इस पुल का उद्घाटन किया था। 15 जुलाई को यह पुल पानी का ज्यादा दबाव नहीं झेल पाया और टूट गया। ये पुल गोपालगंज को चंपारण से और इसके साथ तिरहुत के कई जिलों को जोड़ता था। पुल टूटने की वजह से लालछापर, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया का संपर्क टूट गया है।
बता दें कि गोपालगंज में बुधवार को तीन लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी का बहाव था।गंडक के इतने बड़े जलस्तर के दबाव से इस महासेतु का एप्रोच रोड टूट गया। इस पुल का निर्माण बिहार पुल निर्माण विभाग द्वारा कराया गया था। साल 2012 में इस पुल का निर्माण शुरू किया गया था। निर्माण पूरा होने के बाद पिछले 16 जून 2020 को इस महासेतु का उद्घाटन किया गया था।
तेजस्वी यादव ने किया ट्वीट
पुल ढहने के बाद राजनीतिक हलकों में आरोपों का दौर शुरू हो गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि 8 वर्ष में 263.47 करोड़ की लागत से निर्मित गोपालगंज के सत्तर घाट पुल का 16 जून को नीतीश कुमार ने उद्घाटन किया था। 29 दिन बाद यह पुल ध्वस्त हो गया।
खबरदार! अगर किसी ने इसे नीतीश का भ्रष्टाचार कहा तो? 263 करोड़ तो सुशासनी मुंह दिखाई है। इतने की तो इनके चूहे शराब पी जाते हैं।