अब भगवत गीता को लेकर राजनीतिक दलों के बीच एक नई बहस छिड़ गई है। स्कूलों में भगवत गीता पढ़ाई जाने को लेकर सरकार औऱ विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। गुजरात सरकार ने इसका फैसला ले लिया है कि भगवत गीता को स्कूलों में पढ़ाया जाएगा। अब बीजेपी शासित बाकि राज्य भी इस फैसले के पक्ष में दिखाए दे रहें हैं लेकिन उनके सहयोगी के मत जरुर अलग नजर आ रहे हैं। ताजा मामले बिहार से सामने आया है। बिहार में बीजेपी की सत्ता में सहयोगी जेडेयू ने ही इस मुद्दो को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जेडीयू-बीजेपी आमने-सामने
बिहार में बीजेपी नेताओं का कहना है कि गुजरात की तर्ज पर यहां भी भगवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए। गीता में निहित मूल्यों और सिद्धांतों से छात्रों को काफी कुछ सीखने को मिलेगा। लेकिन बीजेपी के इन सुझावों से सहयोगी दल जेडीयू सहमत नही है। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होने कहा कि है कि भगवत गीता बहुता अच्छा ज्ञान देती है लेकिन स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने से पहले पहले बहुत बातों को सोचने और समझने की जरुर है। गौरतलब है कि बिहार में मुस्लिम वोटरों का भी बड़ा वर्ग नीतीश कुमार के साथ जुड़ा हुआ है। प्रदेश में यदि इस प्रकार का फैसला लागू होता है तो उनकी सेक्यूलर छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है।
गुजरात स्कूलों में पढ़ाई जाएगी श्रीमद् भगवत गीता
गुजरात सरकार ने अपनी नई शिक्षा नीति का ऐलान करते हुए इस बात की जानकारी दी थी कि सरकार के द्वारा फैसला लिया गया है कि स्कूलों में गीता को पढ़ाया जाएगा। गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने बताया था कि 6 क्लास से 12 क्लास तक पाठ्यक्रम में भगवत गीता को जोड़ा गया है। छात्रों को भगवत गीता के निहित मूल्यों और सिद्धांतो के बारे में समझाया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री के भी कर चुकें है समर्थन
मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी भी इस पहल का समर्थन कर चुके हैं। उन्होने कहा कि सभी राज्यों की सरकारों से अपील करते हुए कहा था कि ‘भगवत गीता हमें नैतिककता औऱ सदाचार की सीख देते है। यह हमें समाज को बेहतरी के लिए उत्तरदायित्व का ज्ञान देती है। इसमें कई ऐसी नैतिक कहानियां हैं जो छात्रों को प्रेरित कर सकती हैं। सभी राज्यों को इसके बारे में सोचना चाहिए’