तिरहुत: कहते हैं कि किस्मत का सितारा कभी भी बुलंद हो सकता है इसलिए अगर किसी मोड़ पर हार मिले तो निराश नहीं होना चाहिए। बिहार के बर्खास्त टीचर वंशीधर ब्रजवासी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। सरकार ने उन्हें टीचर की नौकरी से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन अब वह निर्दलीय एमएलसी का चुनाव जीत गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
बिहार में तिरहुत स्नातक एमएलसी सीट के लिए हुए चुनाव में जेडीयू, RJD और जनसुराज जैसी पार्टियों के उम्मीदवारों को हराकर एक निर्दलीय शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी ने जीत हासिल की है। यह सीट जेडीयू के देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद खाली हुईं थी। लेकिन इस चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार अभिषेक झा चौथे नंबर पर रहे, आरजेडी के कैंडिडेट गोपी किशन तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दूसरे स्थान पर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के विनायक विजेता रहे।
तिरहुत स्नातक सीट पर जीत हासिल करने वाले वंशीधर ब्रजवासी की कहानी बेहद दिलचस्प है। जीत हासिल करने के बाद वंशीधर ब्रजवासी ने नीतीश सरकार को धन्यवाद कहा। ब्रजवासी ने कहा कि वे सरकार को इसलिए धन्यवाद देना चाहेंगे क्योंकि अगर सरकार ने उन्हें नौकरी से बर्खास्त नहीं किया होता तो आज वे एमएलसी नहीं बनते। सरकार ने कार्रवाई की तभी शिक्षक गोलबंद हुए और उसका नतीजा सामने है।
वंशीधर ब्रजवासी मुजफ्फरपुर जिले के मड़वन प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय, रक्सा पूर्वी में प्रखंड शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे। वे नियोजित शिक्षकों के संघ के अध्यक्ष थे और नियोजित शिक्षकों की मांगों के समर्थन में लगातार आंदोलन करते थे। जब केके पाठक बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बन कर आये तो उन्होंने शिक्षकों के किसी भी तरह आंदोलन में शामिल होने पर रोक लगा दी और शिक्षकों की यूनियन को अवैध घोषित कर दिया।
केके पाठक के निर्देश पर प्रखंड शिक्षक वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इसी साल 28 मार्च को मुजफ्फरपुर के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) ने मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड नियोजन इकाई को पत्र लिखकर वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था। इसके बाद प्रखंड नियोजन इकाई ने ब्रजवासी को निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू की थी।
बाद में केके पाठक के तबादले के बाद नए अपर मुख्य सचिव के समय भी वंशीधर ब्रजवासी के खिलाफ शुरू हुई विभागीय कार्रवाई जारी रही और आखिरकार जुलाई, 2024 में वंशीधर ब्रजवासी को शिक्षक की नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसी बीच तिरहुत स्नातक क्षेत्र में विधान परिषद की सीट पर उप चुनाव का ऐलान हो गया। शिक्षकों के समर्थन से वंशीधर ब्रजवासी चुनाव मैदान में उतरे औऱ जीत हासिल कर ली।