बिहार के स्कूलों का क्या हाल है, इसका एक मामला सामने आया है। मयूरहंड के एक स्कूल में, एक अजब, विरोधाभासी और निराशाजनक खबर सामने आई है। इस स्कूल का हाल ऐसा ही कि इसकी हालत बंया करना भी मुश्किल हैं। हाल कुछ यूं है कि छात्र बार-बार टॉयलेट न जाना पड़े इसलिए जानबूझकर कम खाते और पीते हैं। जानकारी के मुताबिक, स्कूल में शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा ही नहीं है। शासन-प्रशासन इस मामले पर कुंभकरण नींद ले रहे हैं।
जाना पड़ता है दूसरे लोगों के घर
बता दें कि सरकारी विवेकानन्द प्लस टू हाई स्कूल के छात्र शौचालय न जाना पड़े इसलिए अपने भोजन और पानी के सेवन को सीमित रखते हैं। खाते व पानी पीते वक्त वे इस बात का खासा ध्यान रखते हैं कि उन्हें बार-बार टॉयलेट जाने की नौबत न आए। छात्र अपनी प्राकृतिक इच्छाओं पर अंकुश लगाने की कोशिश में स्कूल आते-जाते रहते हैं। स्कूल की दशा क्या होगी ये इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अगर उन्हें टॉयलेट लग जाती है तो स्कूल के आसपास रह रहे लोगों के दरवाजे खटखटाने पड़ते हैं। जिससे उन्हें खुद ही शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है।
1000 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे
जानकारी दे दें कि इस स्कूल से ब्लॉक प्रशासनिक मुख्यालय से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्कूल में 1090 से अधिक छात्र पढ़ते हैं। इसके बावजूद, सरकार व प्रशासन सो रहा है। जानकारी के मुताबिक, यहां 6 माह पहले एक शौचालय का निर्माण होना शुरू हुआ था, पर उसका काम अभी भी अधूरा है। जिला शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार मिश्रा ने इस मामले पर जानकारी दी कि, स्कूल का भवन नया है और निर्माणाधीन है इसमें शौचालय भी शामिल है। स्कूल में सुविधाओं का हाल ऐसा है कि छात्रों के लिए कथित तौर पर लैपटॉप इस्तेमाल के लिए आए थे, इसके जरिए पढ़ाई के बजाय, इन्हें शिक्षकों के घरों में जमा कर दिया गया है।
टीचर की कमी
स्कूल के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार दास ने स्कूल में टीचर की कमी को भी गंभीर समस्या बताया है। राजेंद्र कुमार ने कहा कि स्कूल में शिक्षा स्तर को बढ़ाने के लिए स्कूल अपर्याप्त कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दों से भरा हुआ है। फिर भी, आशा बनी हुई है कि एक दिन इन छात्रों को स्कूल में खुद को राहत देने के लिए ऐसे अजीब तरीकों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।
ये भी पढ़ें: