बिहार में अटकलें लगाई जा रही हैं कि ‘वंशवाद’ की खिलाफत करने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इकलौते बेटे सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं। निशांत कुमार आम तौर पर सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आते हैं। उन्हें बेहद कम अवसरों पर सार्वजनिक तौर पर पिता के साथ देखा गया है। पिछले कुछ हफ्तों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि 73 वर्षीय नेता “पार्टी के अंदर उठ रही मांगों” पर सहमत हो सकते हैं कि निशांत औपचारिक रूप से जेडीयू में शामिल हो जाएं। जेडीयू के पास दूसरे पंक्ति का नेतृत्व नहीं है जो सुप्रीमो नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद उनकी जगह ले सके।
विद्यानंद विकल के पोस्ट से अटकलें तेज
सोमवार को अटकलें और तेज हो गईं, जब पार्टी से जुड़े और राज्य खाद्य आयोग के प्रमुख विद्यानंद विकल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली। विकल ने लिखा, “बिहार को नए राजनीतिक परिदृश्य में युवा नेतृत्व की जरूरत है। निशांत कुमार में सभी अपेक्षित गुण हैं। मैं जद(यू) के कई साथियों की राय से सहमत हूं कि वे पहल करें और राजनीति में सक्रिय हों।”
नीतीश के खास मंत्री ने क्या कहा?
हालांकि, जब इस संबंध में पूर्व राज्य जेडीयू अध्यक्ष और नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में सबसे प्रभावशाली मंत्रियों में से एक विजय कुमार चौधरी से सवाल पूछे गए तो उन्होंने दावा किया कि अटकलें “निराधार” हैं। मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले चौधरी ने कहा, “मैं पार्टी के लोगों से भी आग्रह करूंगा कि वे इस अति संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा न करें, इसका कोई आधार नहीं है, बल्कि इससे लोगों के मन में संदेह पैदा हो सकता है।” जब पत्रकारों ने स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री के साथ उनकी बैठकों में कभी इस विषय पर चर्चा हुई है, तो चौधरी ने कहा, “मैंने जो कहा है, वह इस प्रश्न का पर्याप्त उत्तर है।”
बीजेपी की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी है जेडीयू
इस बीच, लोकसभा चुनावों में भाजपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी बनकर उभरी जेडीयू इस महीने के अंत में दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की तैयारी कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, “पार्टी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठकें नियमित अंतराल पर होनी चाहिए। आदर्श रूप से, यह जून के आरंभ में आयोजित किया जाना चाहिए था।” नाम न बताने की शर्त पर पदाधिकारी ने कहा, “हमें बैठक में किसी बड़े फैसले की उम्मीद नहीं है।” (भाषा इनपुट्स के साथ)
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