सासाराम: बिहार के रोहतास जिले के सासाराम में रामनवमी के दौरान हुई हिंसा मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। इस मामले में अब तक 43 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस ने यह भी जानकारी दी कि अब वहां स्थिति नियंत्रण में है। वहीं, रामनवमी पर भड़की हिंसा के बाद राज्य में हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। दंगाई लगातार सरकार को चुनौती दे रहे हैं। आज भी सासाराम में एक मकान को निशाना बनाकर बम विस्फोट किया गया। नीतीश के गृह जिले नालंदा में भी हालात इससे कोई बेहतर नहीं हैं।
सुबह फिर सुनी गई धमाके की आवाज
सासाराम में आज सोमवार तड़के फिर तेज धमाके की आवाज सुनी गई। सोमवार सुबह 4:30 बजे सासाराम के नगर थाना क्षेत्र के मोची टोला में तेज धमाके की आवाज सुनी गई। इसके बाद यहां SSB के जवानों को बुलाया गया। इस घटना में किसी के जख्मी होने की जानकारी नहीं है। हालांकि, एसएचओ संतोष कुमार का कहना है कि यह आवाज एक पटाखे से संबंधित थी। उन्होंने बताया, "हमें तेज धमाके के बारे में पता चला जो स्थानीय लोगों ने सुनी थी, जब हम मौके पर पहुंचे तो हमने पाया कि यह आवाज एक पटाखे से जुड़ी थी। इसके अलावा और कुछ नहीं है।"
सासाराम और बिहारशरीफ में इंटरनेट सेवा बंद
हिंसा की घटनाओं के बाद सासाराम और बिहारशरीफ में इंटरनेट सेवा 4 अप्रैल तक बंद रखने का फैसला लिया गया है। स्थिति पर काबू पाने के लिए दोनों शहरों में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। इसके साथ ही सासाराम में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का निर्देश दिया गया है। पुलिस की टीम लोगों से अफवाहों से दूर रहने की सलाह दी है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने हिंसा के दौरान जान गंवाने वाले व्यक्ति के परिवार को पांच लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया है।
यह भी पढ़ें-
- बिहार-झारखंड की सीमा में एनकाउंटर, चतरा में मारे गए 25 और 5 लाख के पांच इनामी मोस्ट वांटेड नक्सली
- बिहार: सासाराम में नहीं थम रही हिंसा, सुबह फिर सुनी गई धमाके की आवाज, इंटरनेट सेवा ठप
हिंसक झड़प के बाद अब सियासी बयानबाजी
हिंसक झड़प और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सासाराम दौरे के रद्द हो जाने के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इस बीच, शाह के नवादा दौरे पर संबोधन के दौरान बिहार सरकार को इस मामले में आड़े हाथों लेना भी सत्ता पक्ष को नागवार गुजरा है जिसके बाद सत्ताधारी दल मुखर हो गए। बिहार में सत्ताधारी जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने सोमवार को कहा कि जुमलों और झूठे वादों के कारण भाजपा ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। चुनाव पूर्व जनता से किए गए वादों को सत्ता में पहुंचते जुमला कहते हैं, महंगाई पर चर्चा नहीं होती है।