रोहतास: कई जगहों पर ऐसा देखने को मिलता है कि मंदिर और मस्जिद बिल्कुल नजदीक बने हुए हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम ही देखा जाता है कि मंदिर परिसर के अंदर मस्जिद बनी हो। बिहार के रोहतास में एक ऐसी ही मस्जिद है, जो मंदिर परिसर में बनी तो है लेकिन उसमें नमाज आज तक नहीं पढ़ी गई।
क्या है इस मस्जिद का इतिहास?
ये मस्जिद रोहतास में मां ताराचंडी धाम परिसर में है। इस मस्जिद के निर्माण के बाद से लेकर अब तक यहां नमाज नहीं पढ़ी गई। इस मस्जिद का निर्माण मुगल शासक औरंगजेब ने करवाया था। दरअसल औरंगजेब ने जब देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिरों को नष्ट करने का अभियान चलाया तो वह सासाराम के मां ताराचंडी मंदिर भी पहुंचा। हालांकि वह इस मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हो सका।
ये मस्जिद मां ताराचंडी धाम परिसर में बनी हुई है और लोगों के बीच काफी चर्चा में भी रहती है।
मंदिर का धार्मिक महत्व
मां ताराचंडी का मंदिर हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखता है। भक्तों का मानना है कि यहां मां तारा का पवित्र रूप विराजमान है, जो श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मंदिर के दर्शन के लिए देशभर से भक्त आते हैं, जो यहां पूजा-अर्चना कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं। मंदिर के गर्भगृह में मां तारा की पवित्र मूर्ति स्थापित है, जिसे देख भक्त आत्मिक शांति और ऊर्जा का अनुभव करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ताराचंडी की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
तत्कालीन इस्लामी कला का उदाहरण है मस्जिद
मां ताराचंडी मंदिर के परिसर में एक ऐतिहासिक मस्जिद भी स्थित है,जिसका निर्माण 16वीं सदी के औरंगजेब शासनकाल में हुआ था। औरंगजेब ने देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिरों को नष्ट करने का अभियान चलाया। तो वह सासाराम के मां ताराचंडी मंदिर भी पहुंचा। उसने मंदिर को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उसमें वह सफल नहीं हो सका। इसके बाद उसने वहां एक मस्जिद बनवाई। औरंगजेब द्वारा बनवाई गई यह मस्जिद उस समय की इस्लामी कला और निर्माण शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मस्जिद की दीवारों पर उकेरी गई नक्काशी और खूबसूरत आर्किटेक्चर उस दौर के वास्तुकला की विशेषताओं को दर्शाता है। मस्जिद का निर्माण जिस काल में हुआ था, वह समय धार्मिक सहिष्णुता और समाजिक समरसता का था। शेर शाह सूरी ने अपने शासनकाल में हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे, और यह मस्जिद उसी भावना का प्रतीक है।
नमाज अदा न होने के कारण
इतिहासकारों के अनुसार, इस मस्जिद में लंबे समय से नमाज़ अदा नहीं की गई है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि यह स्थान मुख्य रूप से एक हिंदू धार्मिक स्थल है, जहां अधिकतर भक्त मां ताराचंडी की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। इसके अलावा, मस्जिद की देखभाल और प्रबंधन में कमी भी एक कारण हो सकता है। हालांकि, यह मस्जिद अभी भी एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित है और इसका ऐतिहासिक महत्व आज भी अटूट है।(इनपुट: रोहतास से रंजन सिंह राजपूत की रिपोर्ट)