Highlights
- 'लोभ-लालच के फेर में पड़ कर इंसान अपना सर्वनाश कर लेता है'
- 'जुबान का कोई महत्व नहीं हो, उस पर विश्वास जमेगा भी तो कैसे?'
- नीतीश अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो बैठे हैं: संजय जायसवाल
Bihar Politics: बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी अब आगे की रणनीति बनाने में जुटी है। इस दौरान बीजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में जाने को लेकर घेरा है, वहीं बीजेपी नुकसान को लेकर सशंकित है। बीजेपी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने इशारों ही इशारों में एकजुट विरोधियों से होने वाले नुकसान को भी लेकर आशंकित नजर आए, वहीं नीतीश कुमार को लेकर जमकर निशाना साधा।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा, "हमने बचपन से ही पढ़ा है कि लोभ-लालच के फेर में पड़ कर इंसान अपना सर्वनाश कर लेता है। 'सुशासन बाबू' से 'रबर स्टैंप' सीएम तक की नीतीश कुमार की दिल्ली यात्रा इसी बात का जीवंत उदहारण है।" डॉ जायसवाल ने लिखा कि कहां तो कल तक ये पीएम बनने के ख्वाब देख रहे थे और आज इन्हीं के ठगबंधन के लोग इन्हें समय देने के लिए तैयार तक नहीं हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए लिखा, "दरअसल नीतीश अपनी विश्वसनीयता पूरी तरह खो बैठे हैं। जो व्यक्ति खुद को योग्यता से अधिक इज्जत देने वालों की पीठ में बार-बार छूरा घोंपे और मर्यादा की सीमा लांघकर बेइज्जत करने वालों की गोदी में बार-बार जा बैठें, उस पर भला कोई यकीन करेगा भी तो कैसे? जिस व्यक्ति की 'जुबान' का कोई महत्व नहीं हो, उस पर किसी का विश्वास जमेगा भी तो कैसे?"
'आज नीतीश नीतियों के नहीं, कुनीति के प्रतीक बन चुके हैं'
आरजेडी नेताओं की ओर से नीतीश के कई बार किए अपमान की याद दिलाते हुए उन्होंने लिखा, "आरजेडी के अधिकारिक ट्विटर हैंडल और उसके कर्ता-धर्ताओं ने जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग इनके लिए किया, उसके बाद कोई 'आत्मसम्मान' वाला व्यक्ति उनसे गठबंधन करना तो दूर उधर पलटकर देखेगा भी नहीं, लेकिन अपने सामने पैदा हुए बच्चों के मुंह से चोर, निर्लज्ज, बेशर्म, पल्टूराम जैसी उपमाओं से अलंकृत होने के बाद भी उन्हीं के चरणों में शीश नवाकर नीतीश ने साबित कर दिया है कि उनका 'आत्मसम्मान' उनकी महत्वकांक्षा और लालच तले इतनी रौंदी जा चुकी है कि उसका कोई अवशेष भी शेष नहीं है। आज नीतीश 'नीतियों' के नहीं बल्कि 'कुनीति' के प्रतीक बन चुके हैं।"
'गालीबाजों की गोदी में बैठने के बजाए, संघर्ष का रास्ता चुना होता'
जायसवाल ने त्रिकोणीय राजनीति की ओर ललकारते हुए लिखा, "नीतीश को यदि 'वास्तव' में बीजेपी से कोई दिक्कत होती और उनका आत्मसम्मान जिंदा होता, तो उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा को बार-बार तार-तार करने वाले गालीबाजों की गोदी में बैठने के बजाए, संघर्ष का रास्ता चुना होता और आज बिहार त्रिकोणीय राजनीति देख रहा होता, लेकिन बिना मेहनत किए, बैसाखी के सहारे हासिल हुई 'पॉवर की मलाई' ने उनके 'आत्मविश्वास' को भी लील लिया है।"