बिहार में सभी दलों की सक्रियता बढ़ी हुई है। खासकर महागठबंधन में शामिल दल अपनी-अपनी बयानबाजी से चर्चा में रह रहे हैं। ऐसे में जहां विपक्षियों को महागठबंधन पर निशाना साधने का मौका मिल रहा है, वहीं महागठबंधन में गांठ पड़ने के भी कयास लगाए जाने लगे हैं। हालांकि, अब महागठबंधन के तमाम घटक दल 25 फरवरी को एक मंच पर आकर एकजुटता दिखाने की कोशिश करेंगे।
मांझी भी 'गरीब संपर्क यात्रा' पर निकले हैं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की 'समाधान यात्रा' का समापन हो गया है, तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी भी 'गरीब संपर्क यात्रा' पर निकले हैं। इस दौरान मांझी ने आरजेडी के नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनाए जाने पर अपने पुत्र और मंत्री संतोष कुमार सुमन को मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे अच्छा उम्मीदवार बता रहे।
जनता को साथ जोड़ने की कवायद में कांग्रेस
इधर, कांग्रेस भी 'हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा' के जरिये जनता को साथ जोड़ने की कवायद में है। माले भी महाधिवेशन के जरिये शक्ति प्रदर्शन दिखाने की कोशिश में है और इन सब के बीच महागठबंधन के ये तमाम साथी एक मंच पर साथ आने वाले हैं। वहीं, आरजेडी के विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही निशाने पर लेते रहे हैं।
सभी को चिंता अगले चुनाव की सता रही है
कहा जा रहा है कि बिहार में भले ही महागठबंधन के घटक दलों में सरकार चलाने की मजबूरी हो, लेकिन सभी को चिंता अगले चुनाव की सता रही है। लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की 25 फरवरी को पूर्णिया में होने वाली रैली पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इसी दिन गृहमंत्री अमित शाह बिहार आ रहे हैं। शाह उस दिन वाल्मिकीनगर और पटना में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने वाले हैं।
25 फरवरी को बिहार की सियासत के लिए अहम
महागठबंधन इस रैली को सफल बनाने को लेकर पूरी ताकत लगाए हुए है। महारैली से महागठबंधन की ताकत दिखाने की कोशिश की जाएगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो महागठबंधन में शामिल सभी दल एकजुटता दिखाने को भी बेचैन हैं, तो जनता में अपनी पहचान और अपनी ताकत बढ़ाने को भी बेचैन है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि 25 फरवरी को बिहार की सियासत के लिए काफी अहम माना जा रहा है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि महागठबंधन इस महारैली के जरिए कितना एकजुट हो पाती है।
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