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Bihar Political Crisis: जानें JDU ने क्यों तोड़ा BJP से नाता? नीतीश कुमार की नाराजगी की ये है बड़ी वजह

Bihar Political Crisis: पासवान के विरोध और आरसीपी सिंह की कथित भूमिका वास्तव में जदयू के लिए बहुत महंगी साबित हुई क्योंकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था जो 71 से गिरकर 43 तक आ सिमटा था।

Edited By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Published : Aug 10, 2022 7:48 IST, Updated : Aug 10, 2022 8:03 IST
PM Narendra Modi and Nitish Kumar
Image Source : PTI PM Narendra Modi and Nitish Kumar

Highlights

  • आरसीपी सिंह ने की थी भाजपा के इशारे पर पार्टी को विभाजित करने की कोशिश
  • बीजेपी ने पार्टी को तोड़ने की कोशिश की- नीतीश
  • भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश के नेतृत्व को लेकर उठाए थे सवाल

Bihar Political Crisis: जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) के विधायकों और सांसदों ने मंगलवार को यहां एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ पीठ में छुरा घोंपने के चौंकाने वाले आरोप लगाए। इस बैठक के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गठबंधन से नाता तोड़ लिया। जदयू सूत्र जो अपना नाम उजागर नहीं चाहते, के अनुसार कॉल विवरण सहित जानकारी साझा की गई थी, जिसमें सुझाव दिया गया था कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने भाजपा के इशारे पर पार्टी को विभाजित करने के इरादे से लगभग एक दर्जन विधायकों और एक मंत्री से संपर्क किया था। सिंह ने पिछले हफ्ते पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। 

2019 के लोकसभा चुनावों तक चीजें ठीक थी

जदयू के सांसदों जिन्होंने सर्वसम्मति से कुमार के भाजपा को छोड़ने के फैसले का समर्थन किया। सांसदों का विचार था कि 2019 के लोकसभा चुनावों तक चीजें ठीक रहीं। 2019 का लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के साथ मिलकर जीत लिया था और राज्य की 40 सीटों में से एक को छोड़कर सभी पर जीत हासिल की। हालांकि, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के करीब आते ही भाजपा ने अपने रंग बदल लिए। वह स्पष्ट रूप से चिराग पासवान के विद्रोह के पीछे थी, जिन्होंने खुले तौर पर नीतीश कुमार को स्वीकार्य करने से इनकार कर दिया था।

आरसीपी सिंह पर लगे गंभीर आरोप

चिराग ने उन सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी जिनमें से कई भाजपा के तथाकथित बागी शामिल थे, उनको मैदान में उतारा था जहां जदयू ने अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उस समय राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) रहे आरसीपी ने जदयू के कई उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित करने की कोशिश की, जिन्हें वह पसंद नहीं करते थे। पासवान के विरोध और आरसीपी सिंह की कथित भूमिका वास्तव में जदयू के लिए बहुत महंगी साबित हुई क्योंकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने राजद और कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था जो 71 से गिरकर 43 तक आ सिमटा था। 

नीतीश के एक और कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में लौटने के कुछ महीने बाद आरसीपी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाई। हालांकि सिंह के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को पार्टी के वास्तविक नेता नीतीश की स्वीकृति नहीं थी और उन्हें एक और राज्यसभा कार्यकाल से वंचित कर दिया गया, जिसके कारण उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। जदयू के नेताओं ने भाजपा से संबंधित मंत्रियों द्वारा ‘‘असहयोग’’ की भी शिकायत की थी।

बैठक में नीतीश ने कहा, 'बीजेपी ने पार्टी को तोड़ने की कोशिश की, हमें धोखा दिया। बीजेपी ने हमेशा जेडीयू को अपमानित किया।'

भाजपा नेताओं ने दिए थे कई बड़े बयान

भाजपा की विधानसभा में संख्यात्मक ताकत जदयू की तुलना में ज्यादा थी। कहा जाता है कि भाजपा के कई नेताओं ने नीतीश के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए थे और भाजपा नेताओं के इस तरह के असंतोषजनक बयानों पर मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से भी नाराजगी जतायी थी। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह राज्य मंत्रिमंडल में शामिल रहने के समय से ही कुमार के एक आलोचक के रूप में जाने जाते हैं। सिंह ने कुमार के इस कदम के तुरंत बाद मीडिया से कहा, ‘‘यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि नीतीश ने हमें धोखा देने के लिए मुहर्रम को चुना है। अपने सिद्धांतों और वादों की कुर्बानी के लिए इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है।’’ 

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