Highlights
- बिहार की राजनीति में मचा घमासान
- जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन टूटा
- नीतीश कुमार और पीएम मोदी के बीच बढ़ रही थीं दूरियां
Bihar Political Crisis: बिहार की राजनीति में एक बड़ा घमासान मच गया है। यहां सत्ता पर काबिज जनता दल यूनाइटेड (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठबंधन टूट गया है। जेडीयू के विधायकों और सांसदों की बैठक में गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया है। जेडीयू के विधायकों, सांसदों और नेताओं ने साफ कहा है कि वे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हर फैसले के साथ हैं।
नीतीश कुमार RJD के साथ मिलकर बना सकते हैं सरकार!
इसके दूसरी तरफ खबरें ये भी हैं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बीजेपी का साथ छोड़कर फिर से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ सरकार बनाने की तैयारी में हैं। वहीं महागठबंधन की बैठक में आरजेडी के विधायक, एमएलसी और राज्यसभा सांसदों ने कहा है कि वे इस मामले में फैसला लेने के लिए तेजस्वी यादव को अधिकृत करते हैं। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के विधायकों ने भी तेजस्वी यादव को समर्थन देने का ऐलान किया है।
किसके पास कितनी सीटें
बिहार विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के पास 77 सीटें हैं। वहीं जेडीयू (JDU) के पास 45, आरजेडी के पास 79, कांग्रेस के पास 19, सीपीआईएमएल (एल) के नेतृत्व वाले वाम दलों के पास 16 सीटे हैं। ऐसे में अगर जेडीयू, आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहे तो उसे किसी तरह की समस्या नहीं होगी।
क्यों टूटा जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन?
पीएम मोदी से बढ़ती दूरी: बीते कुछ समय से खबरें सामने आ रही थीं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और पीएम मोदी (PM Modi) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और उनके रिश्तों में दरार आ रही है। इस खबर पर तब और जोर मिला जब रविवार को नीति आयोग की मीटिंग में भी नीतीश (Nitish Kumar) नहीं गए। इसके अलावा नीतीश बीते 4 मौकों पर बीजेपी की मीटिंग में शामिल नहीं हुए।
बीजेपी का हावी रहना और JDU के पास कम सीटों का होना: साल 2020 में जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे तो उसी समय लोगों को ये लग रहा था कि नीतीश (Nitish Kumar) ने गठबंधन किसी मजबूरी में किया है। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि जेडीयू के पास बीजेपी से लगभग आधी संख्या में ही विधायक थे, इसके बावजूद नीतीश को सीएम पद दिया गया। ऐसे में बीजेपी हमेशा से नीतीश पर हावी रही।
चिराग पासवान और आरसीपी सिंह केस: चुनाव के दौरान पहले चिराग पासवान का मुद्दा उठा और फिर आरसीपी सिंह का। बीजेपी आरसीपी सिंह को मंत्री पद पर बनाए रखना चाहती थी, लेकिन नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन्हें राज्यसभा टिकट नहीं दिया। नीतीश को लगने लगा था कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा खेल बीजेपी खेल रही है और उनकी पार्टी में सेंधमारी की कोशिश कर रही है। हालांकि बीजेपी उन्हें ये भरोसा दिलाने की कोशिश करती रही कि ऐसा कुछ नहीं है।
नेताओं की बयानबाजी: जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने राज्य में सरकार तो बना ली थी कि नेताओं का अपनी जुबान पर काबू नहीं था। बीजेपी लगातार नीतीश (Nitish Kumar) सरकार पर सवाल उठा रही थी, जिससे विपक्ष को फायदा मिल रहा था। ऐसे में नीतीश सरकार में होते हुए भी निराशा से गुजर रहे थे।
आरजेडी का स्टैंड: एक तरफ बीजेपी के साथ गठबंधन में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) निराशा महसूस कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ आरजेडी (RJD) वेट एंड वॉच की भूमिका में थी। आरजेडी इस बात को बखूबी समझती थी कि अगर नीतीश कुमार, बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ते हैं तो उनके पास आरजेडी से हाथ मिलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। क्योंकि अगर नीतीश ने आरजेडी से हाथ नहीं मिलाया तो उनकी सरकार बिहार में गिर जाएगी।