Highlights
- नीतीश कुमार ने दिया इस्तीफा
- बीजेपी का अगला कदम क्या होगा?
- क्या महाराष्ट्र नीति अपनाएगी बीजेपी
Bihar Political Crisis: बिहार का सियासी संग्राम अब नया मोड़ ले चुका है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और एनडीए से गठबंधन भी तोड़ने का ऐलान कर दिया है। खबरों की माने तो अब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में एक नई सरकार बनाएंगे। बीजेपी ने नीतीश कुमार के इस कदम को धोखा करार दिया है। बीजेपी का कहना है कि नीतीश कुमार ने ना सिर्फ उसे बल्कि बिहार को भी धोखा दिया है। बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के कहा, 'BJP ने 74 सीट जीतेने के बाद भी वादे के मुताबिक नीतीश कुमार जी को NDA गठबंधन का मुख्यमंत्री बनाया था। यह बिहार की जनता और BJP के साथ धोखा है, जनता के फैसले का उल्लंघन है। बिहार की जनता इसे बर्दाशत नहीं करेगी।'
बीजेपी का अगला कदम क्या होगा
नीतीश कुमार से मिले धोखे से तिलमिलाई बीजेपी अब क्या करेगी इस पर सबकी नजर है। दरअसल, आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने में नीतीश कुमार को कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि उनके पास पूरे आंकड़े हैं। लेकिन तेजस्वी यादव को डर है कि बीजेपी इसमें भी कुछ कर सकती है। इसीलिए शायद उन्होंने कहा, 'मेरे पास 160 की ताकत है। अगर बीजेपी अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करती है या राष्ट्रपति शासन लागू करने की कोशिश करती है, तो हम उन्हें "करारा जवाब" देंगे'। हालांकि, तेजस्वी यादव की परेशानी जायज है, बीजेपी का इतिहास उठा कर देखें तो वह सरकार बनाने में एक से बढ़कर एक जुगाड़ सेट करने में माहिर है। किसे पता महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गोवा और अरुणाचल प्रदेश की तरह कल को बिहार के विपक्षी पार्टियों के विधायकों की भी अंतरआत्मा जाग जाए और वह अपनी पार्टी छोड़कर कमल का फूल उठा लें।
लालू परिवार में खुशी की लहर
एक तरफ जहां बीजेपी इस धोखे से दुखी है तो दूसरी ओर आरजेडी खेमें में खुशी की लहर है। चाहे तेजस्वी यादव का बयान हो या फिर उनकी बहनों का सब नीतीश कुमार के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। लालू यादव की बेटी और तेजस्वी यादव की बहन ने बिहार के सियासी संग्राम पर ट्वीट करते हुए लिखा है कि "राजतिलक की करो तैयारी आ रहे हैं, लालटेन धारी।" वहीं लालू यादव की दूसरी बेटी चंदा यादव ने भी इसी तरफ इशारा करते हुए ट्वीट किया है, 'तेजस्वी भव: बिहार'। इन सभी संदेशों से साफ है कि बिहार में अब एक बार फिर से आरजेडी और जेडीयू एक साथ नजर आने वाली है।
क्यों टूटा जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन?
पीएम मोदी से बढ़ती दूरी: बीते कुछ समय से खबरें सामने आ रही थीं कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और पीएम मोदी (PM Modi) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और उनके रिश्तों में दरार आ रही है। इस खबर पर तब और जोर मिला जब रविवार को नीति आयोग की मीटिंग में भी नीतीश (Nitish Kumar) नहीं गए। इसके अलावा नीतीश बीते 4 मौकों पर बीजेपी की मीटिंग में शामिल नहीं हुए।
बीजेपी का हावी रहना और JDU के पास कम सीटों का होना: साल 2020 में जब विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे तो उसी समय लोगों को ये लग रहा था कि नीतीश (Nitish Kumar) ने गठबंधन किसी मजबूरी में किया है। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि जेडीयू के पास बीजेपी से लगभग आधी संख्या में ही विधायक थे, इसके बावजूद नीतीश को सीएम पद दिया गया। ऐसे में बीजेपी हमेशा से नीतीश पर हावी रही।
चिराग पासवान और आरसीपी सिंह केस: चुनाव के दौरान पहले चिराग पासवान का मुद्दा उठा और फिर आरसीपी सिंह का। बीजेपी आरसीपी सिंह को मंत्री पद पर बनाए रखना चाहती थी, लेकिन नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने उन्हें राज्यसभा टिकट नहीं दिया। नीतीश को लगने लगा था कि बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा खेल बीजेपी खेल रही है और उनकी पार्टी में सेंधमारी की कोशिश कर रही है। हालांकि बीजेपी उन्हें ये भरोसा दिलाने की कोशिश करती रही कि ऐसा कुछ नहीं है।
नेताओं की बयानबाजी: जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने राज्य में सरकार तो बना ली थी कि नेताओं का अपनी जुबान पर काबू नहीं था। बीजेपी लगातार नीतीश (Nitish Kumar) सरकार पर सवाल उठा रही थी, जिससे विपक्ष को फायदा मिल रहा था। ऐसे में नीतीश सरकार में होते हुए भी निराशा से गुजर रहे थे।
आरजेडी का स्टैंड: एक तरफ बीजेपी के साथ गठबंधन में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) निराशा महसूस कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ आरजेडी (RJD) वेट एंड वॉच की भूमिका में थी। आरजेडी इस बात को बखूबी समझती थी कि अगर नीतीश कुमार, बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ते हैं तो उनके पास आरजेडी से हाथ मिलाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। क्योंकि अगर नीतीश ने आरजेडी से हाथ नहीं मिलाया तो उनकी सरकार बिहार में गिर जाएगी।