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Bihar News: गया में पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए अब ऑनलाइन पिंडदान की सुविधा

Bihar News: इस साल नौ सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरू हो रहा है। सरकार ने देश विदेश में ऐसे लोगों के लिए ई पिंडदान की भी व्यवस्था की है, जो यहां नहीं पहुंच सकते।

Edited By: Pankaj Yadav
Published : Aug 19, 2022 17:08 IST, Updated : Aug 19, 2022 17:08 IST
Online Pinddaan In Gaya
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Highlights

  • 9 सितंबर से शुरू हो रहा पतृपक्ष मेला
  • सरकार ने शुरू किया ई-पिंडदान की व्यवस्था
  • देश-विदेश हर जगह से लोग आते हैं पिंडदान करने

Bihar News: सनातन धर्म में पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए मोक्षस्थली गया में पिंडदान करने की परंपरा है। मान्यता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष या पितृपक्ष में मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता-पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है। पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे प्राचीन गया शहर की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पितृपक्ष और पिंडदान करने पहुंचते हैं।

9 सितंबर से शुरु हो रहा पितृपक्ष मेला

दो साल कोरोना के कारण गया में पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं किया गया लेकिन इस साल नौ सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरू हो रहा है। सरकार ने इस साल इसके लिए खास पैकेज लांच किए हैं जबकि ई पिंडदान की भी व्यवस्था की है। बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा छह टूर पैकेज की घोषणा की है। इस साल देश विदेश में ऐसे लोगों के लिए ई पिंडदान की भी व्यवस्था की गई है, जो यहां नहीं पहुंच सकते। इसके तहत तीन स्थानों (वेदियों) पर विधि विधान से पिंडदान कराया जाएगा। निगम द्वारा छह अलग-अलग पैकेज भी लांच किए गए हैं, जिसके लिए अलग-अलग राशि खर्च करने होंगे। इसके तहत एक पैकेज एक रात और दो दिनों का है। इसमें गया में पिंडदान कराकर नालंदा और राजगीर भी घुमाने की व्यवस्था दी गई है।

फल्गु नदी के तट पर होता है पिंडदान और तर्पण

उल्लेखनीय है कि पितृपक्ष के साथ-साथ तकरीबन पूरे वर्ष लोग अपने पूर्वजों के लिए मोक्ष की कामना लेकर यहां पहुंचते हैं और फल्गु नदी के तट पर पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। कहा जाता है कि पहले गया श्राद्ध में कुल पिंड वेदियों की संख्या 365 थी, पर वर्तमान में इनकी संख्या 50 के आसपास ही रह गई है। इनमें श्री विष्णुपद, फल्गु नदी और अक्षयवट का विशेष मान है। गया तीर्थ का कुल परिमाप पांच कोस (करीब 16 किलोमीटर) है और इसी सीमा में गया की पिंड वेदियां विराजमान हैं।

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