पटना: अरुणाचल प्रदेश में जनता दल (युनाइटेड) के 6 विधायकों के भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने के बाद दोनों दलों के बीच जमी बर्फ दोनों पार्टी के नेताओं के मिलने के बाद भले ही पिघल गई हो लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के लिए इशारों ही इशारों में भाजपा को जिम्मेदार बता रहे हैं। इसके बाद भाजपा के नेता फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर समाधान की बात कर रहे हैं, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अब तक तस्वीर नहीं साफ होना राजग के लिए अच्छे संकेत नहीं माने जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गुरुवार को भाजपा नेताओं से कोई बात नहीं हुई है। मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कहा, "पहले मंत्रिमंडल विस्तार में इतनी देर कहां होती थी?" गुरुवार को भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव सहित कई अन्य नेताओं के मुख्यमंत्री से मिलने के बाद कयास लगाए जाने लगे थे, अब जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार कर लिया जाएगा।
इससे पहले भी मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भाजपा को जिम्मेदार बताते हुए कह चुके हैं कि अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं आया है। वैसे मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिए गए इस बयान के बाद भाजपा बहुत ज्यादा कुछ नहीं बोल रही है, लेकिन भाजपा के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल इतना जरूर कहते हैं कि प्रदेश नेतृत्व व आलाकमान जल्द इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री से बात भी करेगा। मुख्यमंत्री ने जो चिंता जताई है, उसका जल्द समाधान कर लिया जाएगा।
वैसे, सूत्रों का भी कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में बंटवारा अब केवल भाजपा और जदयू के बीच ही होना है। बिहार सरकार में चार दल शामिल हैं, जिसमें से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) तथा विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को एक-एक मंत्री पद मिल चुका है। बिहार विधानसभा चुनाव में राजग को बहुमत मिलने के बाद 16 दिसंबर को 14 मंत्रियों के साथ नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसमें से एक मेवालाल चौधरी का इस्तीफा हो चुका है।
इस बीच, सहयोगी हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने एक और मंत्री पद की मांग करके अपनी महत्वाकांक्षा जता दी। बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है। फिलहाल विधानसभा में राजग के पास 125 का आंकड़ा है। लेकिन गौर करने वाली बात हैं कि हम व वीआइपी की चार-चार सीटें हैं। ऐसे में मांझी की महत्वकांक्षा ने भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दुविधा बढ़ा दी है। सूत्र हालांकि फिलहाल ऐसी किसी स्थिति से इनकार का दावा कर रहे हैं लेकिन मांझी की अपनी महत्वंकाक्षा ने तो भविष्य के लिए राजग को सतर्क तो कर ही दिया है। भाजपा और जदयू के नेता खुलकर तो नहीं, लेकिन सरकार के कार्यकाल को पूरा करने को लेकर संशय जरूर व्यक्त करते हैं।
बहरहाल, फिलहाल राजग में मंत्रिमंडल को लेकर पेंच फंसा हुआ है ओर विपक्ष भी इसे लेकर 'वेट एंड वॉच' की स्थिति में है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी भी कहते हैं कि सत्ता में बने रहने के लिए यह गठबंधन किया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में ही जब इतना विलंब हो रहा है तो समझा जा सकता है कि सरकार पांच साल कैसे चलेगी।