Highlights
- ट्रस्ट के जरिए 65 लोगों का हुआ था ऑपरेशन
- मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 15 लोगों की गई आंख की रोशनी
मुजफ्फरपुर: कहते हैं आंखें भगवान की दी सबसे बड़ी नेमत है जिससे हम दुनिया देखते हैं लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर में जो हुआ उसे सुनकर आपका दिल दहल जाएगा। मुजफ्फरपुर में एक अस्पताल की लापरवाही से 15 लोगों की जिंदगी में हमेशा के लिए अंधेरा छा गया। अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां 15 लोगों को अपनी आंख की रोशनी गंवानी पड़ी है। बताया जा रहा है कि पिछले महीने 22 नवंबर को अस्पताल में 65 मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ था, जिसमें से 26 लोगों की आंखों में गंभीर संक्रमण हो गया। इंफेक्शन के बाद 15 लोगों की एक आंख निकाली गई है।
15 मरीजों की छीनी रोशनी..कैसे चलेगी जिंदगी?
लापरवाही की बात सामने आने के बाद सिविल सर्जन ने अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को सील करके पूरे अस्पताल को बंद करने का ऑर्डर दिया है। जिला स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल में ऑपरेशन कराने वाले सभी मरीज़ों की लिस्ट मांगी है ताकि दूसरे मरीजों की आंखों की भी जांच की जा सके।
पहले सूचना मिली कि 25 लोगों का ही ऑपरेशन हुआ है लेकिन अब जांच के बाद पता चला है कि यहां कुल 65 मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। इसमें से इन्फेक्शन के चलते 26 लोगों की आंखें खराब हो चुकी है ऐसे में अब संभावना जताई जा रही है कि इस तरह से आंखें खराब होने वाले मरीजों की संख्या अब और भी बढ़ सकती है। लापरवाही के शिकार इन लोगों को अब मुजफ्फरपुर के मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया है। एक ही डॉक्टर हर किसी का ऑपरेशन कर रहा था। एक मरीज का सिर्फ 4 से 5 मिनट में ऑपरेशन कर दिया गया। लोग बड़ी उम्मीदों के साथ मोतियाबंद का ऑपरेशन कराने गए थे लेकिन अब उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए एक आंख गंवानी पड़ी है।
'आंखफोड़वा' ऑपरेशन...मुजरिम कौन?
मुजफ्फरपुर 'आंख निकलवा कांड' पर सियासत भी तेज हो गई है। मामला बिहार विधान परिषद तक आ पहुंचा है। कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने विधान परिषद में स्थगन प्रस्ताव दिया है। मामला सामने आने के बाद जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव पीड़ितों से मिलने हॉस्पिटल पहुंचे। पप्पू यादव ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए सरकार पर हमला बोला। उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के जज की मॉनिटरिंग में कराने की मांग के साथ ही सभी पीड़ित परिवार को दो-दो लाख का मुआवजा देने की मांग की। साथ ही ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर के सारे सर्टिफिकेट रद्द करने की भी मांग की।
इधर, इस पूरे मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वत: संज्ञान लिया है। NHRC ने बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर पूरा ब्योरा देने को कहा है। मुख्य सचिव को लिखे चिट्ठी में एनएचआरसी ने मेडिकल प्रोटोकॉल का भी हवाला दिया है जो एक डॉक्टर को रोजाना अधिकतम 12 सर्जरी करने की अनुमति देता है लेकिन इस मामले में डॉक्टर ने एक दिन में 65 रोगियों की मोतियाबिंद की सर्जरी कर दी।