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बिहार : कोरोना की दूसरी लहर के सुस्त पड़ते 'परदेस' लौटने लगे प्रवासी मजदूर

कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार के सुस्त पड़ने के साथ ही राज्य के प्रवासी मजदूर फिर से 'परदेस' की ओर जाने लगे हैं। 

Reported by: IANS
Published on: June 12, 2021 13:48 IST
बिहार : कोरोना की दूसरी लहर के सुस्त पड़ते 'परदेस' लौटने लगे प्रवासी मजदूर- India TV Hindi
Image Source : PTI बिहार : कोरोना की दूसरी लहर के सुस्त पड़ते 'परदेस' लौटने लगे प्रवासी मजदूर

पटना: कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार के सुस्त पड़ने के साथ ही राज्य के प्रवासी मजदूर फिर से 'परदेस' की ओर जाने लगे हैं। सरकार भले ही प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने की बात कर रही हो लेकिन प्रवासी मजदूर फिर से बड़े शहरों की ओर जाने लगे हैं। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर के प्रारंभ होने और लॉकडाउन लगाए जाने के बाद पिछले साल की तरह भयावह स्थिति की आशंका को लेकर प्रवासी मजदूर अपने गांवों में लौट गए थे, लेकिन बडे शहरों में अब बंद पडे काम धंधों के धीरे-धीरे खुलने के कारण ये फिर से काम की तलाश में वापस लौटने लगे हैं।

मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार के अन्य जिलों में रहने वाले कुछ मजदूरों को उनके मिल मालिकों की ओर से ट्रेन का टिकट भी भेजा जा रहा है। मुजफ्फरपुर के सकरा के रहने वाले मजदूर मुंबई, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लिए रवाना हो रहे हैं।

मजदूरों का कहना है कि वे जब यहां लौटे थे तब उनकी सोच थी कि काम मिल जाएगा लेकिन यहां वैसा काम नहीं मिल रहे हैं, जिनमें उनकी दक्षता है। मजदूरों का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम हो रहे हैं लेकिन उसमें सभी लोगों को काम मिल जाए वह संभव नहीं।

भोजपुर जिले के चरपोखरी गांव के निरंजन कुमार कहते हैं, "अभी खेती-बार भी लगभग ठप है। रोपनी के समय ही काम मिलने की उम्मीद है। हालांकि बाहर से इतने लोग लौटे हैं कि खेती में भी वाजिब मजदूरी मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही है। बाहर रुपये मिलते हैं। वहां से भेजने पर घर का खर्च चलता है, इसलिए फिर परदेस लौटना मजबूरी है।"

इधर, गोपालगंज जिले में फिलहाल प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या वापस नहीं हो रही है लेकिन कई मजदर जो लौटे थे उनके मालिकों द्वारा बुलाया जा रहा है। हालांकि कई गांव के मजदूर ऐसे भी हैं जो कोरोना की तीसरी लहर को लेकर सहमे हुए हैं। ऐसे मजदूरों का कहना है कि बाहर तो चले जाएंगे लेकिन फिर तीसरी लहर की बात भी सुन रहे है, ऐसे में तो फिर से लौटना होगा।

मजदूर कहते हैं कि अभी यहीं काम खोज रहे हैं नहीं मिलेगा तब तो पेट भरने के लिए जाना ही होगा। गोपालगंज, भोजपुर, कैमूर के मजदूर खेती करने के लिए पंजाब की ओर जा रहे हैं।

वैसे, सुकून वाली बात है कि इस लॉकडाउन के खुलने के बाद पिछले साल वाली स्थिति नहीं है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद लोटे कई प्रवासी मजदूर अभी काम की तलाश में हैं। पिछले साल कई बड़े शहरों से बसों को भेजकर मजदूरों को बुलाया गया था। वैसे, यह भी तय है कि इन प्रवासी मजदूरों को काम नहीं मिलेगा तो यह भी अन्य शहरों की ओर रवाना होंगे ही।

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