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छोटी सी उम्र, बड़ा हौसला! ई-रिक्शा चला कर सपनों को उड़ान देने की कोशिश में जुटी किशनगंज की नंदिनी

छोटी सी उम्र में बच्चे जहां पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद पर ध्यान देते हैं, वहीं, बिहार के किशनगंज में रहने वाली नंदिनी पढ़ाई के साथ-साथ ई-रिक्शा चलाकर अपना और अपने परिवार का खर्च चला रही हैं। पेश है प्रेरणा से भरी उनकी यह कहानी।

Written By: Pankaj Yadav @ThePankajY
Published : Dec 06, 2024 10:34 IST, Updated : Dec 06, 2024 10:34 IST
यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती नंदिनी- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती नंदिनी

जहां एक तरफ बच्चे पढ़ाई और खेल-कूद में मशगूल होते हैं, वहीं 16 साल की नंदिनी अपने सपनों को साकार करने के लिए ई-रिक्शा चला रही हैं। यह कहानी सिर्फ संघर्ष की नहीं, बल्कि उस जज़्बे की है, जो हर बाधा को पार कर सकती है।

बचपन, जो जिम्मेदारियों में ढल गया

शहर के वार्ड संख्या 31 में हवाई अड्डा चहारदीवारी के किनारे सरकारी जमीन पर फूस का घर बना कर रह रही नंदिनी के पिता की आर्थिक तंगी ने उसे कम उम्र में ही जिम्मेदारियों का बोझ उठाने पर मजबूर कर दिया। जहां अन्य बच्चे स्कूल की छुट्टी के बाद आराम करते हैं या खेलकूद में मश्गूल हो जाते है। वहीं नंदिनी ई-रिक्शा लेकर सड़कों पर निकल पड़ती हैं।

यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती नंदिनी

Image Source : INDIA TV
यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती नंदिनी

दोपहर की क्लास, शाम की कमाई

सुबह स्कूल और शाम को ई-रिक्शा चलाना उसकी दिनचर्या है। हर दिन तीन से चार घंटे वह ई-रिक्शा चलाती हैं। उनकी मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपनी पढ़ाई में भी पीछे नहीं हैं। नंदिनी कहती हैं कि, "मेरे पास समय कम है, लेकिन सपने बड़े हैं।" नंदिनी ने बताया कि पिता पर कर्ज का बोझ है, मेरे परिवार में चार बहन और एक भाई हैं। घर भी नहीं है। सरकारी जमीन पर रहती हूं। घर के खर्च को बांटने और अपनी पढ़ाई को पूरी करने के लिए ई-रिक्शा चलना जरूरी है। उसने बताया कि पढ-लिख कर वह एक अधिकारी बनना चाहती हैं। नंदिनी शहर के गर्ल्स हाई स्कूल में 11वीं कक्षा में पढ़ती हैं।

कठिनाइयों के बीच मुस्कान

ई-रिक्शा चलाना उसके लिए सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि परिवार की मदद का जरिया है। हालांकि, यह काम आसान नहीं है। कई बार उसे ताने सुनने पड़ते हैं, तो कभी यात्रियों की बदतमीजी का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन वह हर मुश्किल को मुस्कुरा कर पार कर जाती हैं। नंदिनी के पिता ने बताया कि वो अक्सर बीमार रहते हैं और मजबूरी की वजह से उनकी बच्ची कुछ समय के लिए ई-रिक्शा चलाती है।

यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती नंदिनी

Image Source : INDIA TV
यात्रियों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाती नंदिनी

प्रेरणा का स्रोत

नंदिनी की कहानी आज उसके आस-पड़ोस के लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। उसकी लगन और मेहनत को देखकर कुछ लोग उसकी मदद के लिए भी आगे आए हैं। नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने कहा कि उनके संज्ञान में मामला आया है और तहसीलदार को निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि बच्ची को हर संभव मदद उनके द्वारा किया जाएगा। वहीं, किशनगंज अनुमंडल पदाधिकारी लतीफुर रहमान अंसारी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा छात्रवृति योजना, साइकिल सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि बच्ची को तमाम लाभ मिले इसके लिए प्रयास किया जाएगा। नंदिनी का सपना है कि वह एक दिन अधिकारी बने और अपने परिवार की हालत को सुधार सके। वह मानती है कि परिस्थितियां चाहे जितनी भी कठिन हों, अगर हिम्मत और दृढ़ निश्चय हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

(किशनगंज से राजेश दुबे की रिपोर्ट)

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