पटना: गंगा का जलस्तर इस सप्ताह की शुरुआत में खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने और उसमें लगातार वृद्धि होने के कारण शनिवार तक पटना जिले में करीब तीन लाख लोग बाढ़ की चपेट में आ गये। पिछले कुछ सप्ताह से गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है और वह फिलहाल निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है। जलस्तर नौ अगस्त को ही खतरे के निशान को पार कर गया था। हालांकि, नदी का पानी शहर में घुसने से रोकने के लिए फरक्का बांध के गेट खोले गए हैं, लेकिन ऊपर से लगातार आ रहे पानी के कारण बाढ़ की स्थिति बन गयी है।
जिला प्रशासन के अनुसार, ग्रामीण पटना के नौ ब्लॉकों के 43 पंचायतों के रहने वाले कुल 2.74 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। प्रभावित लोगों में से आधे से ज्यादा दानापुर, मनेर और बख्तियारपुर ब्लॉक के रहने वाले हैं। प्रशासन ने बताया कि राहत एवं बचाव कार्य में 259 नावों को लगाया गया है। सुरक्षित निकाले गए लोगों को राहत शिविरों में रखा जा रहा है और उनके भोजन की व्यवस्था सामुदायिक रसोई से की गई है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में कोविड-19 टीकाकरण भी जारी है और स्वास्थ्य कर्मी नावों की मदद से लोगों तक पहुंच रहे हैं।
बाढ़ से प्रांतीय राजधानी में नदी के आसपास के इलाके भी प्रभावित हुए हैं। कंगन घाट पानी में डूब गया है और वहां से कुछ सौ मीटर की दूरी पर स्थित तख्त हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा के आसपास पानी भर गया है। जल संसाधन विभान के अनुसार, दिघा और गांघी घाट पर भी पिछले दिन के मुकाबले जलस्तर में 10 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है। हालांकि, बिहार के बक्सर और उत्तर प्रदेश के वाराणसी तथा प्रयागराज से आ रही पानी की मात्रा में कुछ कमी आयी है। विभाग का कहना है कि मूसलाधार बारिश बंद होने के कारण पटना में नदी का जलस्तर स्थिर हो रहा है और कहीं-कहीं उसमें कमी भी आ रही है।