नई दिल्ली: कोरोना काल में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव कराने में ज्यादा खर्च आएगा। वजह कि मतदाताओं के बीच सोशल डिस्टैंसिंग के लिए 34 हजार से ज्यादा नए पोलिंग सेंटर्स बनाने से एक लाख से अतिरिक्त कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी। बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है।
माना जा रहा है कि सब कुछ ठीक रहने पर समय से चुनाव होगा। चुनाव आयोग अभी से सभी चुनौतियों पर विचार करने में जुटा है। चुनाव तैयारियों की लगातार समीक्षा हो रही है। चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि कोरोना के कारण इस बार एक मतदान केंद्र पर एक हजार मतदाता ही वोट देंगे। लिहाजा अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाने का फैसला हुआ है।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि एक पोलिंग सेंटर पर एक हजार वोटर्स के फॉर्मूले के कारण करीब 34 हजार अतिरिक्त पोलिंग सेंटर्स बनाए जाने की तैयारी चल रही है। इस प्रकार बिहार में एक लाख छह हजार पोलिंग सेंटर्स पर चुनाव होगा। जब अतिरिक्त पोलिंग सेंटर्स बनेंगे तो अतिरिक्त मतदान कार्मिकों की भी नियुक्ति होगी। ऐसे में आयोग ने आकलन किया है कि 34 हजार अतिरिक्त केंद्रों पर कम से कम एक लाख 8 हजार कर्मचारियों की नियुक्ति करनी होगी।
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त कर्मचारियों को ले जाने के लिए वाहन भी चाहिए। चुनाव के लिए और भी तमाम संसाधनों की अतिरिक्त व्यवस्था करनी होगी। अतिरिक्त कर्मचारियों को भत्ता भी देना होगा। इस प्रकार कोरोना काल में चुनाव कराने में पहले से कहीं ज्यादा खर्च आएगा। हालांकि, अभी यह आकलन नहीं हुआ है कि बिहार चुनाव कराने में इस बार कुल कितना खर्च आ रहा है, लेकिन इतना साफ है कि पिछले चुनाव से काफी ज्यादा धनराशि इस बार खर्च होगी। क्योंकि अतिरिक्त केंद्र बनाने के साथ ज्यादा कर्मचारियों की व्यवस्था करनी पड़ेगी।