पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वो जनसंख्या कानून के पक्ष में नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या विधेयक 2021 का ड्राफ्ट तैयार करने पर नीतीश कुमार ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का अगर सिर्फ कानून बनाकर उपाय किया जाए तो यह संभव नहीं है। चीन में देख लीजिए वहां पहले एक बच्चे का कानून था अब दो का कर दिया अब दो के बाद भी क्या हो रहा है।
नीतीश कुमार ने कहा, "यह सबसे बड़ी चीज है कि जब महिलाएं साक्षर होंगी तो वे इतनी जागरूक होंगी कि अपने आप प्रजनन दर कम होगी। पत्नी के पढ़ा लिखा होने से प्रजनन दर कम होती है। हम लोगों की सोच साफ है कि साक्षरता के जरिए प्रजनन दर कम की जाएगी। हम कानून के पक्ष में नहीं हैं। 2040 तक देश की जनसंख्या वृद्धि बढ़ने के बजाय घटना शुरू होगी।"
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश प्रदेश में जनसंख्या कानून आ रहा है और राज्य में प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के एक मसौदे के अनुसार दो-बच्चों की नीति का उल्लंघन करने वाले को स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने, पदोन्नति और किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने का अधिकार नहीं होगा। राज्य विधि आयोग ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण एवं कल्याण) विधेयक-2021 का प्रारूप तैयार कर लिया है। उत्तर प्रदेश में आ रहे जनसंख्या कानून को लेकर ही पत्रकारों ने नीतीश कुमार से सवाल किया था।
उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग (यूपीएसएलसी) की वेबसाइट के अनुसार, ‘‘राज्य विधि आयोग, उप्र राज्य की जनसंख्या के नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण पर काम कर रहा है और एक विधेयक का प्रारूप तैयार किया गया है।’’ राज्य विधि आयोग ने इस विधेयक का प्रारूप अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है और 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है। विधेयक के प्रारूप के अनुसार इसमें दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है तथा सरकारी योजनाओं का भी लाभ नहीं दिए जाने का जिक्र है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को 'विश्व जनसंख्या दिवस’ के अवसर पर अपने सरकारी आवास पर ‘उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030’ का लोकार्पण करने के बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए लोगों को बढ़ती जनसंख्या की समस्या के प्रति स्वयं तथा समाज को जागरूक करने का प्रण लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इस विषय को लेकर समय-समय पर चिंता व्यक्त की गई कि बढ़ती जनसंख्या विकास में कहीं न कहीं बाधक हो सकती है और उस पर अनेक मंचों से पिछले चार दशकों से निरंतर चर्चा चल रही है।
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