लोकसभा चुनाव 2024: चुनाव से पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार सभी राष्ट्रीय विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में जी-जान से जुटे हैं। देश के ज्यादातर राज्यों में अलग-अलग मोर्चो और स्तरों पर विपक्षी एकजुटता की कवायद तेज हो गई है। विपक्षी दलों के अपने जोड़-घटाव के साथ एक साथ कई इंद्रधनुष वाली स्थिति के बावजूद विपक्षी एकता के अगुआ बने नीतीश की राह मुश्किल तो है लेकिन नामुमकिन नहीं कही जा सकती है।
महाराष्ट्र में होगा फायदा
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में तो नहीं, किसी भी विपक्षी मोर्चे के लिए महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण कारक होगा क्योंकि यहां 48 लोकसभा सीटें हैं जो उत्तर प्रदेश के बाद देश में सबसे अधिक है। यहां कई दल हैं जिनमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (उद्धव गुट) की महाविकास अघाड़ी और वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) तथा अन्य छोटे दल शामिल हैं तो यहां नीतीश की राह आसान हो सकती है।
प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता अतुल लोंधे ने दावा किया, हिमालय का मार्ग सह्याद्री के रास्ते प्रशस्त होगा। महाराष्ट्र एक महत्वपूर्ण राज्य है और भाजपा हर जगह नीचे खिसक रही है। एमवीए के खाते में कम से 40 सीटें आएंगी और इसकी शुरुआत कर्नाटक से होगी।
जदयू नेता ने कहा-खिचड़ी स्वास्थ्यकर होगी
वहीं, राकांपा के मुख्य प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि राज्य में एमवीए के तहत विपक्ष पहले से ही मजबूती से एकजुट है और कर्नाटक चुनाव के नतीजे आने के बाद लोकसभा
जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव कपिल पाटिल ने कहा कि नीतीश कुमार मई के मध्य में महाराष्ट्र पहुंचेंगे और शरद पवार, उद्धव ठाकरे, प्रकाश अंबेडकर सहित सभी विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे और उनके विचार जानेंगे तथा सहयोग की मांग करेंगे। पाटिल ने कहा, अगर महाराष्ट्र में सभी दल हाथ मिलाते हैं, तो यह निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्तर के प्रयासों पर बड़ा असर डालेगा।
चुनावों के बाद 1977 की तर्ज पर खिचड़ी बनने की संभावना पर, कुछ नेताओं/समूहों के पाला बदलने की आशंकाओं पर पाटिल ने मुस्कुराते हुण् कहा कि 'अनेकता में एकता' भारतीय प्रजातंत्र की पहचान है। जद (यू) नेता ने कहा कि 'खिचड़ी' देश के लोकतांत्रिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगी और हालांकि यह काल्पनिक प्रश्न है, उन्होंने विश्वास जताया कि सब लोग मिलकर देश की भलाई के लिए काम करेंगे।