बिहार में इस समय ट्रांसफर-पोस्टिंग का प्रकरण सुर्खियों में है और वजह है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजद कोटे के मंत्री का आदेश कैंसिल कर दिया जाना। बता दें कि 30 जून की रात सीओ, राजस्व पदाधिकारी और चकबंदी पदाधिकारियों की भारी पैमाने पर ट्रांसफर-पोस्टिंग हुई थी। इसमें बड़े पैमाने पर खेल होने की चर्चा आम थी। इस मामले में सरकार की भद्द पिटने के बाद नीतीश कुमार ने भी बड़ा एक्शन लिया है। सीएम के आदेश के बाद बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के 480 अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग रद्द कर दी गई है।
आलोक मेहता पर एक्शन
बता दें कि बिहार सरकार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक कुमार मेहता हैं जो तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। आलोक कुमार मेहता के विभाग ने 30 जून को 517 पदाधिकारियों के तबादले की अधिसूचना जारी की थी। 30 पदाधिकारियों को अपने मूल कैडर में वापस भेजा गया था। बाकी 480 अधिकारियों की बिहार के अलग-अलग अंचलों में पोस्टिंग की गई थी। इनमें सबसे ज्यादा 395 अंचलाधिकारी यानि सीओ की ट्रांसफर-पोस्टिंग की गई थी।
जून महीने के आखिरी दिन ट्रांसफर-पोस्टिंग
बिहार सरकार के नियमों के मुताबिक साल के जून महीने में मंत्रियों को ये अधिकार होता है कि वह अपने विभाग के पदाधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कर सकते हैं। इसके अलावा किसी दूसरे महीने में ट्रांसफर-पोस्टिंग करने पर उसकी मंजूरी मुख्यमंत्री से लेनी होती है। जून महीने के आखिरी दिन मंत्री आलोक कुमार मेहता के विभाग में ताबड़तोड़ ट्रांसफर-पोस्टिंग की नोटिफिकेशन जारी की गई थी लेकिन नीतीश कुमार ने कई शिकायतों की जानकारी मिलने के बाद इसे रद्द कर दिया है।
तेजस्वी के करीबी आलोक मेहता के द्वारा किए गए तबादले को मुख्यमंत्री द्वारा रद्द करना राजद के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
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