Highlights
- बिहार की मोकामा और गोपालगंज सीट पर उपचुनाव
- 3 नवंबर को दोनों सीटों पर मतदान होना है
- मुख्य मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच माना जा रहा है
Bihar Bypoll: बिहार में दो सीटों गोपालगंज और मोकामा विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव में महागठबंधन की ओर से RJD के प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इन दोनों क्षेत्रों में मुख्य मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच माना जा रहा है। लेकिन, अब तक साफ तौर पर जेडीयू के नेताओं और कार्यकतार्ओं में वह उत्साह नहीं देखा जा रहा है। बिहार की मोकामा सीट से भाजपा ने बाहुबली नेता ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को अपना प्रत्याशी बनाया है। सोनम देवी का मुकाबला राजद की प्रत्याशी नीलम देवी से है। नीलम देवी राजद के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की पत्नी हैं। एक मामले में अनंत सिंह के सजायाफ्ता होने के बाद उनकी विधायकी चली गई और मोकामा सीट खाली हो गई।
महागठबंधन में JDU की नाराजगी!
वहीं गोपालगंज से भाजपा की उम्मीवार कुसुम देवी हैं। कुसम देवी दिवंगत सुभाष सिंह की पत्नी हैं। उनका मुकाबला RJD के मोहन गुप्ता से है। भाजपा के विधायक रहे सुभाष सिंह के निधन से गोपालगंज सीट खाली हो गई। दोनों सीटों पर सभी प्रत्याशी चुनाव जीतने को लेकर पूरा जोर लगा रहे है। लेकिन, अब तक जेडीयू का कोई बड़ा नेता इस क्षेत्र में प्रचार करने नहीं पहुंचा है।
मोकामा विधानसभा क्षेत्र मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। ऐसे में मुंगेर के सांसद और जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह का अब तक नहीं आना कई सवाल खड़े करता है। राजद के प्रत्याशियों के नामांकन पर्चा दाखिल करने के समय भी जेडीयू का कोई बड़ा चेहरा उपस्थित नहीं हुआ था, जिस कारण महागठबंधन में जेडीयू की नाराजगी के कयासों को और बल मिला।
ललन सिंह के करीबी माने जाते थे अनंत सिंह, ऐसे बढ़ी दूरियां
अनंत सिंह कभी जेडीयू के नेता थे और जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के करीबी माने जाते थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से दोनों के बीच की दूरियां बढ़ गई। अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर सीट से चुनाव लड़ीं, लेकिन जीत जेडीयू के ललन सिंह की हुई। 2020 के विधानसभा चुनाव में मोकामा सीट से अनंत सिंह ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। अब राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं और जेडीयू-राजद साथ आ गए हैं, जिसके बाद मोकामा में उपचुनाव हो रहे हैं।
'जेडीयू-राजद गठबंधन नहीं, सत्ता के लिए समझौता है'
इधर, भाजपा के संतोष पाठक कहते भी हैं, जेडीयू और राजद को गठबंधन कहा ही नहीं जा सकता। यह तो सत्ता के लिए समझौता है। उन्होंने यहां तक कहा कि जेडीयू मोकामा में राजद प्रत्याशी के खिलाफ काम कर रही है। इधर, गोपालगंज में भी यही स्थिति दिख रही है। गोपालगंज में भी अब तक जदयू के नेता खुलकर राजद प्रत्याशी के समर्थन में नहीं उतरे हैं। ऐसे में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
3 नवंबर को दोनों सीटों पर वोटिंग
इस बीच, हालांकि जेडीयू के एक नेता नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं, राजद को जब भी जरूरत होगी, जेडीयू के नेता चुनाव प्रचार में जाएंगे। उन्हें अब तक जरूरत महसूस नहीं हुई है। भाजपा ख्याली पुलाव पका रही है। इस उपचुनाव में दोनो सीटों पर महागठबंधन की जीत तय है। दोनों सीटों पर तीन नवंबर को मतदान होना है।