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बिहार में धड़ल्ले से हो रहा बालू का अवैध खनन, नावों पर मोटर लगाकर निकाला जा रहा बालू

एक अनुमान के मुताबिक करीब 700 करोड़ के राजस्व का नुकसान बिहार सरकार को बालू के अवैध खनन की वजह से हर साल होता है। वर्तमान में बिहार के 29 जिले ऐसे हैं जहां बालू का खनन किया जा सकता है लेकिन अभी सिर्फ 16 जिलों में खनन की बंदोबस्ती विभाग की तरफ से की गई है।

Reported by: Nitish Chandra @NitishIndiatv
Published on: April 21, 2022 16:43 IST
Sand Mining- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Sand Mining

पटना: बिहार में बालू का अवैध खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है। कुछ महीने पहले ही राज्य सरकार की तरफ से एसपी, डीएसपी, एसडीओ, डीटीओ, सीओ, थानाध्यक्ष, जिला खनन पदाधिकारी समेत कुल करीब 40 से भी अधिक अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई किए जाने के बाद भी बालू का अवैध खनन जारी है। सबसे हैरान करने वाली तस्वीर जमुई में मिली जहां बालू माफियाओं की वजह से किऊल नदी का अस्तित्व ही लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। बालू माफियाओं ने नदी के बीच में सड़क बना दी जिस वजह से नदी की धाराएं रुक गई हैं, बंट गई हैं।

कुछ साल पहले तक यहां नदी की धारा बहती थी। बालू माफियाओं ने आसपास के घाटों से अपनी गाड़ियों को लाने ले जाने के लिए नदी के बीच में गड्ढे कर बालू निकाला और मिट्टी बालू से सड़क बना दी। पटनेश्वर मंदिर के ठीक पास की ये जगह पर पुल के नीचे पिलर के पास से भी बालू का खनन कर लिया गया है। मंदिर कमिटी से जुड़े लोगों ने इस संबंध में कई बार शिकायत भी की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई उलटे बालू माफियाओं की तरफ से धमकियां मिलने लगी।

छपरा के पहलेजा घाट की अभी बंदोबस्ती नहीं हुई है, बावजूद यहां बालू का अवैध खनन बड़े पैमाने पर चल रहा था। यहां पीपा पुल के नीचे से रास्ता बनाकर बालू को निकाला जा रहा था और नावों के जरिये ढोया जा रहा था। नावों से बालू की उड़ाही और ढुलाई दोनों अवैध है। नदी किनारे घाट पर जेसीबी मशीन से बालू का खनन चल रहा था।

सोन, गंडक और कई दूसरी नदियों के अलावा गंगा की कोख से भी अवैध सफेद बालू का खनन जारी है। पटना में जेपी सेतु के नीचे नावों पर मोटर की मदद से अंधाधुंध बालू का दोहन किया जा रहा है। इससे एक तरफ नदी का पर्यावरण संतुलन खराब हो रहा है, तो दूसरी तरफ हर दिन लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। केवल दीघा में जेपी सेतु के नीचे गंगा नदी से हर दिन से सैंकड़ों नावों से अवैध तरीके से बालू निकाला रहा जा है। रोज यहां करीब 50 लाख रुपये से अधिक कीमत की बालू निकाली जाती है। अधिकांश नावें बालू से ओवरलोडेड रहती हैं।

पटना में 1800 से 2000 की दर से एक ट्रैक्टर टॉली गंगा की सफेद बालू की बिक्री होती है। एक नाव में 1200 से 2000 सीएफटी तक बालू लोड हो सकती है ऐसे में एक नाव में औसतन पांच ट्रॉली बालू की लदाई मानते हैं, तो हर दिन 500 नावों पर करीब 2500 ट्रैक्टर टॉली की उगाही केवल दीघा के आसपास क्षेत्र से होती है। एक ट्रॉली बालू की औसत कीमत दो हजार रुपये मानें, तो करीब 50 लाख रुपये का बालू रोज अवैध रूप से निकाल कर बाजार में बेचा जाता है।

अवैध बालू खनन के कारोबार एवं इसमें चलते आ रहे भ्रष्टाचार की जांच और कार्रवाई बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई कर रही है। बालू के इस अवैध कारोबार से जुड़े कई एसपी, डीएसपी, एसडीओ, डीटीओ, सीओ, थानाध्यक्ष, जिला खनन पदाधिकारी के खिलाफ ईओयू ने एफआईआर दर्ज किया है। कई सस्पेंड किए गए और कई हटाये गए, अभी जांच जारी है।

एक अनुमान के मुताबिक करीब 700 करोड़ के राजस्व का नुकसान सरकार को बालू के अवैध खनन की वजह से हर साल होता है। वर्तमान में बिहार के 29 जिले ऐसे हैं जहां बालू का खनन किया जा सकता है लेकिन अभी सिर्फ 16 जिलों में खनन की बंदोबस्ती विभाग की तरफ से की गई है। 8 जिले की बंदोबस्ती पहले से थी जबकि NGT की रोक हटने के बाद 8 और जिलों में बंदोबस्ती की गई है। इस तरह कुल 16 घाटों की बंदोबस्ती अभी है। लेकिन जिन घाटों की बंदोबस्ती नहीं हुई है वहां भी बालू का अवैध खनन जारी रहता है।

खनन विभाग के कुल राजस्व का लगभग 50 प्रतिशत बालू की बंदोबस्ती से आता है। 2015-16 में खनन विभाग को 428 करोड़ जबकि 2016-17 में  457 करोड़ रुपये के राजस्व की प्राप्ति हुई थी जो उनके कुल राजस्व के लगभग 50 प्रतिशत के बराबर है।

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