मुजफ्फरपुर: बिहार सरकार भले ही किसी भी इलाके से राजधानी पहुंचने के लिए 6 घंटे समय लगने का दावा कर अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन राज्य के ही कई इलाके आज भी आवागमन की समस्या के कारण अन्य दुनिया से कट जाते हैं। इस गांव के ग्रामीण प्रत्येक साल खुद को दुनिया से जोड़ने के लिए चचरी (लकड़ी, बांस निर्मित) पुल का निर्माण करते हैं। मुजफ्फरपुर जिले के अलौली प्रखंड के मथुरापुर बुजुर्ग पंचायत के सुंदरखोली गांव ऐसा ही एक बदनसीब गांव है जहां लखनदेई नदी पर पुल नहीं होने के कारण प्रत्येक साल जब शादियों का मौसम आता है तो ग्रामीण खुद चंदा जमा कर चचरी पुल का निर्माण करते हैं।
करीब 5 हजार आबादी वाले इस गांव की भौगोलिक बनावट भी ऐसी है कि लोग बिना नदी पार किए गांव से निकल भी नहीं पाते। गांव के उत्तर से लखनदेई और दक्षिण से बागमती नदी बहती है। गांव के रहने वाले आसनारायण साह बताते हैं कि गांव में शादी ब्याह के मौसम के पूर्व ग्रामीण चचरी पुल के निर्माण में जुट जाते हैं और करीब 15 से 20 दिन में पुल का निर्माण कर लिया जाता है।
चंदा इकट्ठा कर ग्रामीण बनाते हैं पुल
गांव के मोहन कुमार बताते हैं कि यह प्रत्येक साल का काम है। बचपन से यह देखते आ रहे हैं। प्रत्येक साल गांव में एक से डेढ़ लाख का चंदा इकट्ठा होता है और पुल का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहा कि पुल निर्माण करना मजबूरी है। अगर पुल ग्रामीण नहीं बनाए तो बच्चो को तीन चार किलोमीटर घूमकर स्कूल जाना पड़ता है। ग्रामीण कहते हैं कि चुनाव के दौरान सभी दल के नेता आते हैं और पुल निर्माण का आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन अब तक लखनदेई नदी पर पुल नहीं बन पाया। ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं कि इस गांव में लोग शादी भी करने से हिचकते हैं।
ग्रामीण श्रमदान कर चचरी पुल का निर्माण करते हैं
मथुरापुर बुजुर्ग पंचायत के मुखिया प्रहलाद कुमार भी मानते हैं कि हमलोग तो बचपन से इस गांव की दुर्दशा को देखते आ रहे हैं। हमलोगों ने अपने स्तर से कई बार पदाधिकारियों को भी इस समस्या से अवगत करवाया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि ग्रामीण श्रमदान कर चचरी पुल का निर्माण करते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि बरसात के समय चचरी पुल समाप्त हो जाता है और फिर ग्रामीण नाव के सहारे नदी पार करते हैं। किसी बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाने में कितनी परेशानी होती है, वह इस गांव के लोग ही समझ सकते हैं।
ग्रामीण अब किसी भी विधायक और सांसद के गांव में प्रवेश पर पाबंदी लगाने की योजना बना रहे हैं। ग्रामीण कहते हैं कि आखिर विधायक और सांसद की इच्छाशक्ति के कारण इस गांव के लिए पुल का निर्माण नहीं हो रहा है।