पटना। बिहार विधान परिषद की नौ रिक्त सीटों के लिए नामांकन करने वाले सभी नौ उम्मीदवारों को सोमवार (29 जून) को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया। बिहार विधानसभा के सचिव एवं ऊपरी सदन के लिए द्विवार्षिक चुनावों के लिए रिटर्निंग अधिकारी बटेश्वर नाथ पांडेय ने सोमवार को बताया कि अपराहन 3.30 बजे तक नामांकन वापस लेने की समय सीमा समाप्त होने के बाद सभी उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए। निर्वाचित घोषित किए जाने वाले उम्मीदवारों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल (युनाइटेड) के तीन-तीन, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो और कांग्रेस के एक प्रत्याशी शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार विधान परिषद की विधानसभा कोटे की नौ सीटों के लिए हुए चुनाव में सत्तारूढ़ जदयू अपने खाते की तीन सीटों पर गुलाम गौस, कुमुद वर्मा और भीष्म साहनी को अपना उम्मीदवार बनाया था, वहीं भाजपा ने एक बार फिर से संजय मयूख और पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया था। राजद ने मोहम्मद फारुख, सुनील कुमार सिंह और रामबली सिंह को तथा कांग्रेस ने समीर कुमार सिंह को प्रत्याशी घोषित किया था। ये सभी विजयी घोषित कर दिए गए।
पांडेय ने बताया कि नवनिर्वाचित उम्मीदवारों में जदयू के गुलाम गौस, कुमुद वर्मा और भीष्म सहनी, राजद के मोहम्मद फारूक, चंद्रबली सिंह चंद्रवंशी और सुनील कुमार सिंह, भाजपा के संजय मयूख और सम्राट चौधरी और कांग्रेस के समीर कुमार सिंह शामिल हैं। बिहार विधान परिषद की ये नौ सीटें पूर्व में सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा गठबंधन के पास थीं और ये इस साल मई महीने में रिक्त हुईं थीं।
2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद निचले सदन में बदले हुए अंकगणित के कारण इनमें से चार पर सत्तापक्ष को विपक्षी राजद-कांग्रेस गठबंधन को स्वीकार करना पड़ा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने अपनी छह सीटों पर आसीन रहे पूर्व सदस्यों में से किसी को भी दोबारा उम्मीदवार नहीं बनाया था। हालांकि राजद में फूट के कारण पिछले हफ्ते राजद के पांच बिहार विधान परिषद सदस्य पाला बदल कर जदयू में शामिल हो गए थे।
कांग्रेस द्वारा पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर को उम्मीदवार घोषित किया गया था लेकिन नामांकन के अंतिम दिन 25 जून को इस दल ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए पार्टी के राज्य उपाध्यक्षों में से एक समीर कुमार सिंह को अपना प्रत्याशी बना दिया था। कांग्रेस सूत्रों द्वारा बताया गया था कि उम्मीदवार बदले जाने की वजह तारिक का नाम राज्य की मतदाता सूची में नहीं होना था। उसके बाद समीर अपने प्रस्तावकों के साथ विधानसभा सचिवालय पहुंचे और नामांकन दाखिल किया था।
(इनपुट- IANS/भाषा)