Sunday, November 24, 2024
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Air Pollution: देश में सबसे जहरीली बिहार की हवा, टॉप 10 प्रदूषित शहरों में 6 सिटी शामिल

बीते कुछ दिनों में बिहार के तीन से पांच शहर लगातार देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मामले में टॉप पर आ रहे हैं। आरा, मोतिहारी, बेतिया समेत बिहार के छह शहर सबसे प्रदूषित शहरों की टॉप 10 लिस्ट में शामिल हैं।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: December 02, 2022 19:01 IST
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Image Source : PTI वायु प्रदूषण

पटना: बिहार के कई जिलों में इन दिनों लोग कम तापमान और हाई वायु प्रदूषण के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी की शिकायत के कारण लोगों को घरों के भीतर रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बीते कुछ दिनों में बिहार के तीन से पांच शहर लगातार देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के मामले में टॉप पर आ रहे हैं। आरा, मोतिहारी, बेतिया समेत बिहार के छह शहर सबसे प्रदूषित शहरों की टॉप 10 लिस्ट में शामिल हैं।

आरा में 404 एक्यूआई है और मोतिहारी में शुक्रवार दोपहर 12 बजे एक्यूआई 400 पहुंच गया है। बेतिया एक्यूआई 356 के साथ चौथे, पंजाब का मुल्लानपुर 336 के साथ 5वें, यूपी का मेरठ 332 के साथ 6वें, नौगछिया 320 के साथ 7वें, बिहार शरीफ 309 और छपरा 307 के साथ 8वें, दिल्ली का पीतमपुरा 296 के साथ 9वें और हरियाणा का जींद 293 एक्यूआइ के साथ 10 वें स्थान पर है।

रिपोर्ट के अनुसार, 0 से 100 तक एक्यूआई को अच्छा, 100 से 200 को मध्यम, 200 से 300 को 'खराब', 301 से 400 को 'बेहद खराब' और 401 से 500 को 'गंभीर' माना जाता है। इसी वर्ष नवंबर के पहले हफ्ते में बिहार के कई जिलों में एक्यूआई बिगड़ने लगा था। हैरानी की बात यह है कि इन जिलों में ऐसा कोई उद्योग नहीं है जिसे प्रदूषण के लिए दोषी ठहराया जा सके। प्रदूषण विभाग के अधिकारी भी इससे निपटने के तरीके को लेकर असमंजस में हैं।

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Image Source : PTI
वायु प्रदूषण

अमेरिका में रहने वाले पर्यावरणविद और मोतिहारी के मूल निवासी रवि सिन्हा ने बताया कि मोतिहारी जिला पिछले एक महीने से औद्योगिक गतिविधियों के न होने के बावजूद सबसे खराब श्रेणी में आ रहा है। जिले में दशकों पहले ही चीनी मिलें बंद हो चुकी हैं। मैंने भूगर्भीय और भौगोलिक कारकों को पढ़ा और पाया कि गाद और जलोढ़ मिट्टी को पीछे छोड़ते हुए नियमित बाढ़ के कारण निचले वातावरण में पार्टिकुलेट मीटर (पीएम) 2.5 और 10 का स्तर बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि अतीत में हमने हमारे गांव से साफ नीला आकाश और हिमालय की चोटियों को देखा है अब यह एक गैस चैंबर में बदल गया है। बेतिया जैसे शहरों में महानगरों की तरह इतना ट्रैफिक नहीं है फिर भी इन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि शहरों का बेढंग से विकास, सड़क निर्माण, भवन निर्माण, रेत और मिट्टी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के कारण राज्य के शहरों में वायु गुणवत्ता में गिरावट के प्रमुख कारण हैं।

एक अन्य पर्यावरणविद राजेश तिवारी ने कहा कि हम इन शहरों में सड़कों और इमारतों के बड़े पैमाने पर निर्माण देख रहे हैं। वे सड़कों पर न तो पानी छिड़कते हैं और न ही निर्माण क्षेत्रों को कवर करते हैं। जिस कारण ओस की बूंदों के साथ सूक्ष्म कण मिल रहे हैं और स्मॉग बन रहा है। बिहार की सड़कें अन्य मेट्रो शहरों की तरह बढ़िया नहीं हैं जिस कारण यहां वाहनों की रफ्तार धीमी है। हम सभी जानते हैं कि वाहनों की धीमी गति से अधिक जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं। हम वायुमंडल में गैसों, धूल और ओस के मिश्रण को देख रहे हैं और यह 150 फीट से अधिक की ऊंचाई पर नहीं है। खराब वायु गुणवत्ता के लिए शादी के दौरान की जा रही आतिशबाजी भी जिम्मेदार है। राजेश ने कहा कि अगर कानून प्रवर्तन एजेंसियां इसके लिए कदम नहीं उठाएंगी तो इन शहरों का एक्यूआई जल्द ही 450 के पार हो जाएगा।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी के मुताबिक, पीएम 2.5 का स्तर बेहद अस्वस्थ क्षेत्र में है और पीएम 10 भी अस्वस्थ क्षेत्र में है। हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर ज्यादा होने से पटना के लोगों में आंखों में जलन की शिकायत आम है। दमा के मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक है।

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