मधुबनी: जिले के हरलाखी प्रखंड के फुलहर गांव में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है। एक तरफ जहां सरकार के शिक्षा सचिव के के पाठक शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं तो वहीं बिहार में ऐसे भी टीचर हैं जो शिक्षा व्यवस्था को बदहाल करने में लगे हुए हैं। सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है, इसके बावजूद शिक्षा विभाग की बदहाली दूर करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। कहीं योग्य शिक्षक नहीं हैं तो कहीं शैक्षणिक कार्य के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
टीचर का वीडियो आया सामने
बिहार के मधुबनी जिले में ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है। यहां के हरलाखी प्रखंड के नया प्राथमिक विद्यालय फुलहर में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से गर्त में जा चुकी है। इस विद्यालय में पढ़ा रही एक टीचर का ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसे देखकर आप भी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने में संकोच नहीं करेंगे। दरअसल यहां पढ़ाने वाली एक टीचर को हिंदी और अंग्रेजी के आसान शब्द भी लिखने नहीं आते। इतना ही नहीं पूछे जाने पर पता चला कि टीचर को देश के राष्ट्रपति का नाम भी नहीं याद था।
नहीं पता देश की राष्ट्रपति का नाम
वीडियो में देखा जा सकता है कि पहले जब रिपोर्टर ने पड़ताल की तो विद्यालय की शिक्षिका लक्ष्मी कुमारी हिंदी में प्रिंस कुमार लिखने में असफल रहीं, जबकि इन्हें छात्रों के भविष्य संवारने के लिए करीब 40 हजार रुपये प्रति माह तक की सैलरी दी जाती है। उनसे जब अंग्रेजी में प्रिंस की स्पेलिंग पूछी गई, तो वह स्पेलिंग भी नहीं बता सकीं। इसके बाद जब टीचर से देश की राष्ट्रपति का नाम पूछा गया तो वह राष्ट्रपति का नाम तक नहीं बता सकीं। वहीं विद्यालय के जो प्रधान शिक्षक हैं उनका कहना है कि भूल जाने के कारण नहीं लिख पा रही होंगी।
(मधुबनी से कुमार गौरव की रिपोर्ट)
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