लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान के तीसरे दिन अमर शहीद खुदीराम बोस सेंट्रल जेल में 96 छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। जेल प्रसाशन की ओर से छठ घाटों को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया गया। दूधिया रोशनी से दुल्हन की तरह सजा सेंट्रल जेल का पोखर छटा बिखेर रहा है।
जेल प्रशासन ने सभी सुविधाएं मुहैया कराई
जेल प्रशासन की ओर से बंदी व्रतियों को छठ पर्व करने के लिए नए कपड़े, प्रसाद और पूजन सामग्री उपलब्ध कराया गई। महिला बंदी के बच्चों को भी नए वस्त्र दिए गए। जेल प्रशासन इस दौरान व्रतियों की पवित्रता और शुद्धता का पूरा ध्यान रख रहा है और उनकी सभी जरूरतें पूरी की जा रही हैं। इस अवसर पर व्रतियों ने पोखर पर छठ गीत गाए।
मुस्लिम और सिख कैदी जेल से दे रहे खास मैसेज
बता दें कि सेंट्रल जेल में 96 कैदी इस साल छठ पूजा का व्रत कर रहे हैं इसमें 47 महिलाएं और 49 पुरुष बंदी शामिल हैं। छठ पर्व को लेकर बंदियों में इतनी ज्यादा आस्था है कि जेल में बंद दो मुस्लिम और एक सिख कैदी भी इस बार छठ का व्रत कर रहे हैं। केंद्रीय कारा में महिलाओं से अधिक इस बार पुरुष बंदी महापर्व छठ कर रहे हैं। व्रत का अनुष्ठान करने वाले आजीवन कारावास की सजा काट रहे जमशेद आलम ने बताया कि उसकी इस पर्व में अपार श्रद्धा और विश्वास है। उसने कुछ मन्नत मांग रखी है इसके लिए वह कई वर्षों से छठ पूजा का व्रत कर रहा है।
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वहीं, गुरप्रीत सिंह ने बताया कि जेल से मुक्ति और उसके बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन गुजारने के लिए वह कई वर्षों से छठ पर्व कर रहा है। उसकी इस पर्व के प्रति गहरी श्रद्धा व विश्वास है। वहीं, सजा काट रही जुली जैलबमे चौथी बार छठ का व्रत कर रही है। बहरहाल, जिस तरह से तीन मुस्लिम और एक सिख कैदियों ने जेल से संदेश दिया है, जरूरत है इसे समाज में फैलाने की।
(रिपोर्ट- संजीव कुमार)
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