ब्रह्मा जी ने जब स्वायम्भुवमनु और शतरूपा को उत्पन्न किया तब विवाह करने के उपरान्त स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें आशीर्वाद दिया और फिर विंध्याचल पर्वत चली गईं।
डुमरियागंज विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप सिंह बसपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून से मात्र 171 वोट से जीते थे। इस बार भी बीजेपी के टिकट पर राघवेंद्र प्रताप चुनाव लड़ रहे हैं। सांप्रदायिक टिप्पणी की वजह से राघवेंद्र प्रताप इस वक्त सुर्खियों में आ गये हैं।
जैदपुर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर करीब 3,88,068 वोटर हैं । जिनमें सबसे अधिक संख्या मुसलमान वोटरों की है । क्षेत्र की करीब 25 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय से आती है । 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उपेंद्र रावत ने यहां जीत हासिल की थी ।
कस्ता विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब तीन लाख मतदाता हैं । जिनमें अनुसूचित जाति के मतदाताओं की बहुलता है । 2017 के विधानसभा चुनाव में सौरभ सिंह ने भाजपा की टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी ।
श्रीनगर विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के अंतर्गत आती है । ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है । इस बार श्रीनगर विधानसभा सीट पर 23 फरवरी को मतदान होगा ।
निघासन विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के अंतर्गत आती है । इस बार निघासन सीट पर 23 फरवरी को वोटिंग होगी । सियासी दलों ने इस सीट पर जीत के लिए कमर कस ली है ।
गोला गोकर्णनाथ विधानसभा में चौथे चरण में 23 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां की जनता ने BJP उम्मीदवार अरविंद गिरि को जीताकर विधानसभा भेजा था। इस बार यहां की जनता किसको भेजना चाहती है विधानसभा?
लहरपुर विधानसभा सीट सीतापुर के अंतर्गत आती है। लहरपुर को टाउन एरिया का दर्जा प्राप्त है। सपा-बसपा का गढ़ रही यह सीट 2017 में BJP के कब्जे में आ गई। 2022 में लहरपुर की जनता किसको जीताएगी?
योगी सरकार ने बिना देर किए इस बार नाइट कर्फ्यू का ऐलान कर संक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। आदेश के मुताबिक, 25 दिसंबर से रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू जारी करेगा।
अब राजनीतिक दल ये जान गए हैं कि सत्ता की कुर्सी में महिला वोटर एक निर्णायक भूमिका में आ गई हैं। ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि महिलाओं ने खुद को एक बड़े गेम चेंजर के तौर पर सामने रखा है। ऐसे में हर राजनीतिक दल चुनावी मैदान में इनका साथ पाने की जुगत में लगा हुआ है ।