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Hindi News विदेश अमेरिका India With China @ UNHRC:जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत को देना पड़ा दुश्मन चीन का साथ, जानें वजह

India With China @ UNHRC:जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत को देना पड़ा दुश्मन चीन का साथ, जानें वजह

India With China @ UNHRC:भारत के कट्टर दुश्मन चीन ने भी शायद नहीं सोचा रहा होगा कि उसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र परिषद (UNSC) में लाए गए प्रस्ताव पर भारत ड्रैगन के साथ खड़ा होगा। इस बात का भरोसा तो शायद अमेरिका को भी नहीं रहा होगा और न ही दुनिया के किसी अन्य देश को।

UNHRC Voting- India TV Hindi Image Source : INDIA TV UNHRC Voting

Highlights

  • अमेरिका और पश्चिमी देशों ने लाया था चीन के खिलाफ प्रस्ताव
  • भारत और यूक्रेन ने उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान से किया परहेज
  • चीन के खिलाफ प्रस्ताव पर 17 मत के मुकाबले पक्ष में पड़े 19 वोट

India With China @ UNHRC:भारत के कट्टर दुश्मन चीन ने भी शायद नहीं सोचा रहा होगा कि उसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में लाए गए प्रस्ताव पर भारत ड्रैगन के साथ खड़ा होगा। इस बात का भरोसा तो शायद अमेरिका को भी नहीं रहा होगा और न ही दुनिया के किसी अन्य देश को। मगर दुनिया भर में तेजी से बदलते वैश्विक राजनीतिक और सामरिक परिदृश्य में भारत ने कुछ ऐसा किया है कि अमेरिका और चीन समेत पूरी दुनिया हैरान रह गई है। UNHRC में मानवाधिकार उल्लंघन मामले में अमेरिका की ओर से लाए गए चीन के खिलाफ प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं करके शी जिनपिंग की राह को आसान कर दिया। इससे चीन के खिलाफ लाया गया यह प्रस्ताव महज दो वोटों से खारिज हो गया।

भारत की इस कूटनीति को समझने के लिए अब अमेरिका भी हैरान है। क्योंकि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में जिस तरह भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती आगे बढ़ रही है, ऐसे वक्त में जो बाइडन को इस बात का अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि चीन के खिलाफ इस प्रस्ताव में भारत अमेरिका को गच्चा दे सकता है। शी जिनपिंग भी शायद भारत के इस कदम से हैरान और अचंभित होंगे। आइए सबसे पहले आपको बताते हैं कि यह प्रस्ताव था क्या, जिस पर भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से चीन का साथ देकर सबको हैरत में डाल दिया है। क्या भारत के इस कदम से अमेरिका के साथ रिश्ते कमजोर हो सकते हैं?

Image Source : India TvUighur Muslims

उइगर मुसलमानों के मानवाधिकार हनन को लेकर था प्रस्ताव
अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने यूएनएचआरसी में चीन में उइगर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे जुर्म को लेकर इस प्रस्ताव को सामने रखा था। इस पर 47 देशों की ओर से मतदान किया जाना था। इसमें भारत भी शामिल था। अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को यह उम्मीद थी कि भारत इस प्रस्ताव पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ खड़ा होगा, लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। अपनी स्वतंत्र कूटनीति को अपनाते हुए भारत ने इस मामले पर वोटिंग से परहेज किया। एक तरीके से भारत ने ऐसा करके चीन की राह आसान कर दी। ऐसे में महज दो मतों से चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव खारिज हो गया। इसे अमेरिका की कोशिश को बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे भारत और अमेरिका के रिश्ते पर आंशिक प्रभाव पड़ने की आशंका भी व्यक्त की जा रही है।

चीन के विरोध में 17 और पक्ष में पड़े 19 वोट
मानावधिकार उल्लंघन मामले में चीन के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव पर परिषद के सदस्य कुल 47 देशों को मतदान करना था। इनमें से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा समेत 17 ने चीन के खिलाफ वोट किया। जबकि पाकिस्तान, यूएई, इंडोनेशिया, कतर, उजबेकिस्तान, सूडान और सेनेगल समेत 19 देशों ने चीन के पक्ष में मतदान किया। यानि अमेरिका और पश्चिमी देशों के इस प्रस्ताव का विरोध किया। वहीं भारत और यूक्रेन समेत 11 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। इससे अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश हैरत में हैं। भारत के साथ ही साथ यूक्रेन ने भी चीन के खिलाफ प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं करके सबको चौंका दिया है। अमेरिका ने यह प्रस्ताव ब्रिटेन और कनाडा की मदद से पेश किया था। मगर भारत और यूक्रेन के साथ नहीं देने पर चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव खारिज हो गया।

Image Source : India TvUNHRC Voting

मानवाधिकार परिषद ने पेश की थी उत्पीड़न की रिपोर्ट
मानवाधिकार परिषद ने अगस्त 2022 में चीन द्वारा किए जा रहे उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर रिपोर्ट प्रस्तुत किया था। इसमें हजारों उइगर महिलाओं, बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों को बंदी बना कर रखने, काम के बदले मेहनताना नहीं देने और यौन उत्पीड़न तक की बातें कही गई थीं। वर्ष 2017 में भी परिषद ने चीन के खिलाफ एक ऐसी ही रिपोर्ट दी थी। इसके बाद यह प्रस्ताव लाया गया था। अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता तो चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जा सकते थे। मगर ऐसा नहीं होने से चीन बड़ी राहत महसूस कर रहा है।   

भारत ने क्यों अपनाई यह रणनीति
भारत की ओर से अपनी इस कूटनीति के पीछे हमेशा से यूएनएचआरसी में किसी देश के खिलाफ वोटिंग नहीं करने का तर्क दिया जा रहा है। हालांकि इसके पीछे कई अन्य प्रमुख वजहें हैं। ऐसी चर्चा है कि कुछ देश भविष्य में भारत के खिलाफ कश्मीर मामले पर ऐसा ही प्रस्ताव ला सकते हैं। इसलिए भारत ने कूटनीति के तहत अप्रत्यक्ष रूप से चीन का साथ दिया है। वहीं भारत के इस कदम को अमेरिका की ओर से लगातार पाकिस्तान की मदद करने के खिलाफ उसी के लहजे में एक जवाब भी माना जा रहा है। क्योंकि भारत के विरोध दर्ज कराने के बावजूद अमेरिका लगातार पाकिस्तान को एफ-16 के लिए 45 करोड़ डॉलर देने के बाद कई अन्य तरह से भी उसकी मदद कर रहा है और उसे अपना प्रमुख साझीदार बता रहा है। इसलिए भारत ने अमेरिका के दुश्मन चीन का साथ देकर उसे जवाब भी दिया है।

Image Source : India TvChina accused of crimes against Muslims

चीन के स्थापना दिवस पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने पत्र लिखकर दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चीन गणराज्य के 73वें स्थापना दिवस पर पत्र लिखकर शी जिनपिंग को बधाई दी है। इस दौरान भारत और चीन के बीच सीमा पर भी तनाव कम हुआ है। मगर अभी एक माह पहले ही आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान में छिपे आतंकियों के खिलाफ अमेरिका के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो पावर लगाकर भारत का विरोध किया था। ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव फिलहाल कम होना स्थाई नहीं है। चीन भरोसे के काबिल नहीं है। वर्तमान वैश्विक परिवेश में कूटनीति के तहत भारत को यह कदम उठाना पड़ा है।

यूक्रेन ने भी नहीं दिया अमेरिका का साथ

यूएनएचआरसी में चीन के खिलाफ उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के आरोप पर प्रस्तुत रिपोर्ट के पक्ष लाए गए प्रस्ताव पर यूक्रेन ने भी अमेरिका का साथ नहीं दिया। इस मामले में यूक्रेन भी भारत की राह पर चला और वोटिंग करने से परहेज किया। जबकि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका और पश्चिमी देश पूरी तरह से यूक्रेन के साथ हैं। चीन के खिलाफ यह प्रस्ताव भी अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से लाया गया था। ऐसे में अमेरिका को पूरी उम्मीद थी कि यूक्रेन उसके साथ होगा। मगर यूक्रेन ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लेकर अप्रत्यक्ष रूप से चीन का साथ दे दिया। इससे अमेरिका को झटका लगा है। 

Image Source : India TvUkraine Against America's Proposal

16 वर्ष में दूसरी बार गिरा प्रस्ताव

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 16 वर्षों के इतिहास में ऐसा दूसरी बार हुआ है, जब अमेरिका का प्रस्ताव खारिज हो गया हो। इससे अमेरिका और पश्चिमी देशों को बड़ा झटका लगा है। इस प्रस्ताव के खारिज होने से दुनिया में तेजी से बदलते वैश्विक समीकरणों की भी एक नई तस्वीर उभर कर सामने आई है। ऐसे में अमेरिका को अब अपनी रणनीति बदलने पर भी विचार करना होगा। जिस तरह से वह एक तरफ भारत को साधता है और दूसरी तरफ दुश्मन पाकिस्तान से दोस्ती करता है, उसे इसमें बदलाव लाना ही होगा। क्योंकि जिस पाकिस्तान को अमेरिका खुलकर मदद करता है, उस पाकिस्तान ने अमेरिका के इस प्रस्ताव के खिलाफ खुली वोटिंग करके चीन को मजबूती दी है।

मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ खड़ा हुआ पाकिस्तान

भारत में मुसलमानों के उत्पीड़न का तथाकथित आरोप लगाने वाला पाकिस्तान चीन में उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे उत्पीड़न मामले में अपनी ही कौम के खिलाफ खड़ा दिखा। इस मामले में पाकिस्तान ने पीड़ित मुसलमानों का साथ नहीं दिया। पाकिस्तान ने यूएनएचआरसी में अमेरिका के प्रस्ताव के विरोध में वोटिंग की और चीन का साथ दिया। इससे पाकिस्तान का दोहरा चरित्र दुनिया के मुसलमानों के सामने आ गया है। जबकि जिन उइगर मुसलमानों पर चीन जुर्म ढा रहा है, वह पाकिस्तानी शरणार्थी कहे जाते हैं।

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