LAC से सैनिकों के हटने के बाद भारत और चीन कर रहे किस बात का इंतजार, जयशंकर ने बताया
वास्तविक नियंत्रण रेखा से भले ही भारत और चीन ने अपने-अपने सैनिक हटा लिए हैं, लेकिन अभी भी दोनों देशों को कुछ इंतजार है। इसके बाद ही शांति की स्थापना हो सकेगी।
कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया): विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों को भले ही पीछे हटा लिया गया है, लेकिन अभी भी बॉर्डर पर शांति का इंतजार है। उन्होंने कहा कि सैनिकों के पीछे हटने के समझौते को आने वाले दिनों में ‘‘सभी की संतुष्टि’’ के अनुरूप लागू किया जाएगा। जयशंकर ने यहां एक ‘‘थिंक टैंक’’ के उद्घाटन सत्र में ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (एएसपीआई) के कार्यकारी निदेशक जस्टिन बस्सी के साथ बातचीत में यह टिप्पणी की।
जयशंकर से भारत-चीन के आगामी दिनों में संबंधों के बारे में एक प्रश्न पूछा गया था। भारत ने 21 अक्टूबर को घोषणा की कि उसने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर चीन के साथ समझौता कर लिया है, जिससे दोनों सेनाओं के बीच चार साल से जारी सैन्य गतिरोध समाप्त हो गया। कैनबरा में मंगलवार को जयशंकर ने कहा, ‘‘फिलहाल तनाव घटने का इंतजार है, जो एलएसी पर सुरक्षा बलों की लामबंदी के कारण है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 से पहले दोनों देशों की तरफ से एलएसी के पास जितनी तैनाती थी, आज उसकी तुलना में बड़ी सैन्य तैनाती है, ‘‘इसलिए हमारे सामने बातचीत का ही रास्ता है।’’
जून 2020 से भारत-चीन में बढ़ा था तनाव
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी। जयशंकर ने कहा कि प्राथमिकता सैनिकों को पीछे हटाने के तरीके खोजने की रही है। उन्होंने कहा कि जोर जहां तक संभव हो सामान्य स्थिति बहाल करने और 2020 से पहले की तरह गश्त बहाल करने का रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब जल्द गश्त शुरु हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सैनिकों का पीछे हटाने का अध्याय पूरा हो चुका है और इसका क्रियान्वयन ‘‘आने वाले दिनों में सभी की संतुष्टि’’ के अनुरूप होगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि इस अवधि (2020 के बाद) के दौरान, भारत-चीन संबंध भी ‘‘बहुत गहराई से प्रभावित’’ हुए, क्योंकि भारत का मानना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिए पहली शर्त है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पांच वर्षों के बाद पहली द्विपक्षीय बैठक में हुई सहमति की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अपने समकक्षों से मिलेंगे और संबंधों को सामान्य बनाने के तरीके तलाशेंगे। (भाषा)