Washington: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि रूसी रक्षा उपकरणों पर भारत की निर्भरता और मॉस्को के साथ मजबूत संबंधों का कारण यह नहीं है कि नयी दिल्ली ने इन उपकरणों को हासिल करने के लिए अमेरिका से संपर्क नहीं किया। जयशंकर ने ‘यूएस-इंडिया फ्रैंडशिप काउंसिल एंड फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय-अमेरिकियों से कहा, ‘‘दरअसल, हमारे संबंधों में आया एक बदलाव रक्षा सहयोग के क्षेत्र में भी है, जो शायद पिछले करीब 15 साल में अपने मौजूदा रूप में आया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘1965 से लेकर अगले लगभग 40 साल तक भारत में अमेरिका का कोई सैन्य उपकरण नहीं आया। इसी अवधि में भारत-सोवियत, भारत-रूस के संबंध बहुत मजबूत हुए।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘इसका कारण भारत की ओर से कोशिश का अभाव नहीं है। मैं इसकी पुष्टि स्वयं कर सकता हूं। मेरे संबंधियों, मेरे पिता, मेरे दादा ने रक्षा मंत्रालय में काम किया है। इसलिए मैं जानता हूं कि अमेरिका को यह समझाने के लिए इतने वर्षों में कितने प्रयास किए गए कि एक मजबूत, स्वतंत्र एवं समृद्ध भारत में अमेरिका का हित है।’’
परमाणु समझौते से शुरू हुआ बदलाव
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय वे सफल नहीं हुए, संभवत: वैश्विक परिदृश्य उस समय इसी प्रकार का था। जो वास्तविक बदलाव आया, वह परमाणु समझौते से शुरू हुआ, जिसने आगे बढ़ने की दिशा में एक बड़ी बाधा को दूर कर दिया और इसके बाद संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए भारत में नेतृत्व की आवश्यकता थी।’’
ताली दोनों हाथ से बजती है
उन्होंने कहा, ‘‘ताली दोनों हाथ से बजती है। ऐसा नहीं है कि सभी समस्याएं अमेरिकी की तरफ से थीं।’’ मंत्री ने कहा कि इसलिए भारत की ओर से भी सुधार की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आज संबंध अलग स्तर पर हैं। हमारे सुरक्षा समेत कई अन्य क्षेत्रों में मिलकर काम करने की संभावना है। आज हम जो सबसे बड़े सैन्य अभ्यास करते हैं, उनमें अमेरिका के साथ सैन्य अभ्यास शामिल है।’’
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