वाशिंगटनः अमेरिका ने क्वाड शिखर सम्मेलन शुरू होने से पहले ही इसकी बढ़ती ताकत को लेकर बड़ा बयान दिया है। इसे सुनकर चीन सबसे ज्यादा परेशान होगा। क्योंकि इस संगठन का गठन ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक चीन की बढ़ती दादागिरी को रोकने के लिए हुआ है। क्वाड देश भारत को चीन की बड़ी काट के तौर पर देखते हैं। इसलिए इस संगठन में भारत की भूमिका सबसे अहम हो जाती है। अमेरिका ने बुधवार को कहा कि डेलावेयर में होने वाला आगामी क्वाड शिखर सम्मेलन यह दर्शाएगा कि चार देशों का यह समूह पहले से कहीं अधिक रणनीतिक रूप से एकजुट और प्रासंगिक हो गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय एवं आवास ‘व्हाइट हाउस’ के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के रणनीतिक संचार निदेशक जॉन किर्बी ने वाशिंगटन में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इस शिखर सम्मेलन में आप यह देखेंगे कि क्वाड पहले से कहीं अधिक रणनीतिक रूप से एकजुट और अधिक प्रासंगिक हुआ है।’’ किर्बी ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब राष्ट्रपति जो बाइडेन शनिवार को डेलावेयर के विलमिंगटन में क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के अन्य तीन सदस्य देशों ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के नेताओं के साथ वार्ता करने वाले हैं।
क्वाड में शामिल होंगे पीएम मोदी
किर्बी ने बताया कि ऐसा पहली बार होगा जब अमेरिका के राष्ट्रपति अपने गृहनगर विलमिंगटन में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। उन्होंने कहा कि जो बाइडेन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस से अलग-अलग मुलाकात करेंगे। बाद में एक पूर्ण अधिवेशन में उनसे चर्चा करेंगे। किर्बी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के गठबंधन सहयोगियों एवं साझेदारों को और मजबूत करने के उद्देश्य से वहां निवेश करना बाइडेन की प्राथमिकता रही है। (भाषा)
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