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US Presidential Election: अमेरिका में कैसे होता है राष्ट्रपति चुनाव, भारत से कितनी अलग है प्रक्रिया?

अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहा है। आखिर यहां राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है? यहां कितने चरणों में चुनाव की प्रक्रिया पूरी होती है?....अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के लिए कितने वोटों या सीटों की जरूरत होती है। अमेरिका में चुनाव की प्रक्रिया भारत से कितनी अलग है।

राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक की तरफ से कमला हैरिस। - India TV Hindi Image Source : AP राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक की तरफ से कमला हैरिस।

वाशिंगटनः अमेरिका में आगामी 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे। रिपब्लिकन पार्टी की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ़ से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस इस बार चुनावी मैदान में हैं। अब अमेरिकी चुनाव में सिर्फ 2 दिन का वक्त बचा है। आइये जानते हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है?

बता दें कि अमेरिका में हर राष्ट्रपति चुनाव नवंबर के पहले मंगलवार को होता है। जो कि इस बार 5 नवंबर को पड़ रहा है। वैसे अमेरिकी चुनाव की प्रक्रिया करीब डेढ़ साल पहले ही आरंभ हो जाती है। 

कार्यकाल

अमेरिका में राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल का होता है। एक व्यक्ति अधिकतम 2 बार ही राष्ट्रपति हो सकता है। 
अमेरिका में राष्ट्रपति को पोटस की संज्ञा दी गई है। जो प्रेसिडेंट ऑफ यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का संक्षिप्त रूप है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया 5 चरणों में पूरी होती है- 

  1. प्राइमरी और कॉकस
  2. नेशनल कन्वेंशन
  3. आम चुनाव 
  4. इलेक्टोरल कॉलेज
  5. शपथ ग्रहण

प्राइमरी और कॉकस

अमेरिकी चुनाव का पहला चरण डेलीगेट्स चुनने के लिए होता है। यह डेलीगेट्स राजनीतिक पार्टियों से प्राइमरी और कॉकस के जरिये चुने जाते हैं। रजिस्टर्ड सदस्य और आम लोग प्राइमरी के जरिये वोट देते हैं। वहीं कॉकस खुले में होने वाली पार्टी की अनौपचारिक मीटिंग है, जिसमें आम लोग डेलीगेट्स चुनते हैं। इसके बाद चुने हुए डेलीगेट्स एक स्थान पर राष्ट्रपति की उम्मीदवारी का दावा करने वाले नेताओं में से किसी एक का चुनाव करते हैं। इसके बाद वही राष्ट्रपति का चुनाव लड़ता है। 

नेशनल कन्वेंशन

 इसमें रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से चुने गए राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच खुले मंच पर बहस होती है। करीब 4 नेशनल कन्वेंशन का आयोजन होता है। इससे जनता का मूड और देश का मिजाज का अंदाजा होने लगता है कि वह किस पार्टी के उम्मीदवार को अपना राष्ट्रपति चुनना चाहती है। 

आम चुनाव

अगली प्रक्रिया इलेक्टर्स चुनने की होती है। जिस राज्य की जितनी ज्यादा आबादी है, वहां से उतने ज्यादा इलेक्टर्स को आम जनता चुनकर भेजती है। इसमें विनर टेक्स ऑल का नियम लागू होता है। यह 5 नवंबर को है। यह राष्ट्रपति चुनाव का सबसे अहम चरण होता है। जिस पार्टी के ज्यादा इलेक्टर्स चुने जाते हैं, उससे लगभग साफ हो जाता है कि कौन अगला राष्ट्रपति बन रहा है। 

क्या है इलेक्टर्स चुनने का नियम

उदाहरण के लिए अगर किसी अमेरिकी राज्य में 30 इलेक्टर हैं... तो यहां जिस पार्टी के 16 इलेक्टर्स जीतेंगे, उसी के बाकी 14 इलेक्टर्स भी जीते हुए मान लिए जाते हैं। इस तरह जिस पार्टी के 16 इलेक्टर्स जीते हैं, अब सभी के सभी 30 इलेक्टर्स की जीत मान ली जाएगी। इसे ही विनर टेक्स ऑल का नियम कहते हैं। इस तरह पूरे देश से 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाली पार्टी को इसमें जीत के लिए कम से कम 270 इलेक्टर्स की जरूरत होती है। 

इलेक्टोरल कॉलेज

बाद में यही इलेक्टर्स दिसंबर के महीने में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को अपना वोट देते हैं। इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है। इलेक्टर्स के वोटों की गिनती जनवरी में अमेरिकी कांग्रेस करती है। इसमें अधिक वोट हासिल करने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित किया जाता है। बाद में 20 जनवरी को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होता है। इसे अमेरिका में इनॉगरेशन डे के नाम से जाना जाता है। इसके बाद व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति अपना आधिकारिक पद और दायित्व संभालते हैं।

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