ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार को लेकर भारत में लोकसभा चुनाव और लोकतंत्र पर सवाल उठाने पर भड़का अमेरिका, दे दिया कड़वा जवाब
भारत में लोकसभा चुनाव के दौरान देश के लोकतंत्र को विदेश के सामने धूमिल करने वाले एजेंडेबाजों को अमेरिका ने बड़ा झटका दिया है। ऑस्ट्रलियाई पत्रकार के आरोपों के बहाने भारत के लोकतंत्र पर सवाल पूछे जाने पर अमेरिका ने इसपर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अमेरिका ने कहा कि ये भारत का निजी मामला है।
वाशिंगटन: भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव में कवरेज के लिए वीजा अवधि बढ़ाये जाने के बावजूद सरकार पर आरोप लगाने वाली ऑस्ट्रेलिया की महिला पत्रकार के मामले पर एजेंबाजों को अमेरिका ने ऐसा जवाब दिया कि उनकी बोलती बंद हो गई। अमेरिका से जब एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार के वीजा की अवधि भारत द्वारा नहीं बढ़ाए जाने के आरोपों पर सवाल पूछा गया तो वह भड़क गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इसे भारत का निजी मामला बताते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अमेरिका ने कहा कि अपनी वीजा नीति के बारे में भारत ही बात कर सकता है।
मामला यह था कि ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन’ (एबीसी) के दक्षिण एशिया ब्यूरो की प्रमुख अवनी डायस 19 अप्रैल को भारत से चली गई थीं। उन्होंने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारत सरकार ने उनके वीजा की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनकी खबरों ने ‘‘लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन’’ किया। डायस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर किए गए पोस्ट में कहा था कि ऑस्ट्रेलिया सरकार के हस्तक्षेप के बाद उनके वीजा की अवधि को दो महीने के लिए बढ़ा दिया गया था, लेकिन उनकी उड़ान से 24 घंटे से भी कम समय पहले उन्हें यह जानकारी दी गई। डायस ने कहा था, ‘‘हमें यह भी बताया गया कि भारतीय मंत्रालय के निर्देश के कारण मुझे चुनाव की रिपोर्टिंग करने की मान्यता भी नहीं मिलेगी। हम उस राष्ट्रीय चुनाव के तहत हो रहे मतदान के पहले दिन रवाना हो गए, जिसे मोदी 'लोकतंत्र की जननी' कहते हैं।
अमेरिका ने भारत के खिलाफ आरोपों पर दिया ठोककर जवाब
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उपप्रवक्ता वेदांत पटेल ने बृहस्पतिवार को इन आरोपों से जुड़े सवाल के जवाब में कहा, ‘‘देखिए, अपनी वीजा नीति के बारे में भारत सरकार ही बात कर सकती है। मैं इस बारे में अपने विचार नहीं रखूंगा।’’ पटेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मोटे तौर पर, हम दुनिया भर के देशों में लोकतंत्र के ढांचे के तहत स्वतंत्र प्रेस की अभिन्न भूमिका को लेकर स्पष्ट हैं। यही कारण है कि हम यहां आते हैं और नियमित रूप से प्रश्नों के उत्तर देते हैं, लेकिन मैं इस विशेष मामले में चाहता हूं कि इस बारे में भारत में अधिकारियों को बात करने दी जाए।’’ भारत में आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को कहा था कि ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार अवनी डायस का यह तर्क गलत और भ्रामक है कि उन्हें चुनाव कवर करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। सूत्रों ने बताया था कि डायस को अपनी पेशेवर गतिविधियों के दौरान वीजा नियमों का उल्लंघन करते हुए पाया गया। उन्होंने कहा था कि इसके बावजूद, उनके अनुरोध पर, उन्हें आश्वासन दिया गया कि आम चुनाव के कवरेज के लिए उनका वीजा बढ़ाया जाएगा और उनका पिछला वीजा 20 अप्रैल तक वैध था।
डायस के दावे को किया जा चुका है खारिज
भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्र ने कहा, "ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) की दक्षिण एशिया संवाददाता डायस की यह दलील गलत, भ्रामक और शरारतपूर्ण है कि उन्हें चुनाव कवर करने की अनुमति नहीं दी गई और देश से जाने के लिए बाध्य किया गया।" सूत्रों ने कहा कि डायस ने 18 अप्रैल को वीजा शुल्क का भुगतान किया और उसी दिन उनका वीजा जून के अंत तक बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि हालांकि, डायस ने भारत से जाने का फैसला किया और प्रस्थान के समय उनके पास वैध वीजा था। सूत्रों ने कहा कि चुनाव कवर करने की अनुमति नहीं दिए जाने की उनकी दलील भी तथ्यात्मक रूप से गलत है। उन्होंने कहा कि वीजा धारक सभी पत्रकारों को मतदान केंद्र के बाहर चुनावी गतिविधियों के कवरेज की अनुमति है। (भाषा)