वॉशिंगटन: व्हाइट हाउस की एक पूर्व अधिकारी ने कहा है कि बांग्लादेश में बढ़ती कट्टरता को लेकर अमेरिका में गंभीर चिंताएं हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने मुल्क में चरमपंथ को अच्छी तरह से नियंत्रित किया था। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पूर्व उपसहायक और 2017 से 2021 तक दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सीनियर डायरेक्टर पद पर सेवाएं दे चुकीं लीजा कर्टिस ने यह बात कही।
‘इस्लामी चरमपंथियों को जेलों से रिहा कर दिया गया’
कर्टिस ने गुरुवार को कहा, ‘बांग्लादेश एक अहम मोड़ पर है। शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने और राजनीतिक व्यवस्था में सुधार की कोशिशों से बहुत उम्मीद है। लोगों को आशा है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया और मजबूत होगी। लेकिन बहुत चिंता भी है। कुछ इस्लामी चरमपंथियों को जेलों से रिहा कर दिया गया है। हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले हुए हैं। हमने बांग्लादेश में आतंकवाद का इतिहास देखा है। 2016 में होली (आर्टिसन) बेकरी पर हमला हुआ था। यह बहुत गंभीर घटना थी। बांग्लादेश में इस्लामिक स्टेट के कुछ आतंकवादी मौजूद थे। शेख हसीना ने बांग्लादेश में चरमपंथी समस्या को नियंत्रित करने में अच्छा काम किया।’
‘हम बांग्लादेश में एक बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे’
कर्टिस ने कहा कि इस बात को लेकर चिंता है कि चरमपंथी लोग राजनीतिक परिदृश्य में वापस आ जाएंगे, जो बांग्लादेश के लिए ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘यह पूरे क्षेत्र, अमेरिका या किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा। हम बांग्लादेश में एक बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। इसलिए भले ही यह ट्रंप की प्रायॉरिटी न हो, लेकिन मुझे लगता है कि उनकी टीम, उनकी नेशनल सिक्योरिटी टीम को इस बात पर ध्यान देना होगा कि वहां क्या हो रहा है।’ कर्टिस ने यह भी कहा कि आने वाले एडमिनिस्ट्रेशन को भारत के साथ मिलकर काम करना चाहिए क्योंकि भारत को भी बांग्लादेश के भविष्य को लेकर चिंता है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी होने के नाते भारत पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। (भाषा)
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