UN Report: पाकिस्तान की शह पर लंबे समय से सक्रिय आतंकी संगठनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हाफिज सईद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के अफगानिस्तान के कुछ राज्यों में ट्रेनिंग कैंप है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि आतंकी संगठनों के इन ट्रेनिंग कैंप्स पर सीधे-सीधे तालिबान का कंट्रोल है।
'नांगरहार में 8 ट्रेनिंग कैंप्स हैं, 3 तालिबान के कंट्रोल में'
विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल (Analytical Support and Sanctions Monitoring Team) की 13वीं रिपोर्ट में यूएन के एक सदस्य देश के हवाले से कहा गया है कि वैचारिक रूप से तालिबान के करीबी देवबंदी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ‘नंगरहार में 8 ट्रेनिंग कैंप्स हैं, जिनमें से 3 पर तालिबान का सीधा कंट्रोल है।’ संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने तालिबान प्रतिबंध समिति (Taliban Sanctions Committee) के अध्यक्ष के तौर पर ‘सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए रिपोर्ट पेश की और परिषद का दस्तावेज जारी किया।’
'वैचारिक रूप से तालिबान का करीबी है जैश'
रिपोर्ट में कहा गया है कि मसूर अजहर के नेतृत्व वाला जैश-ए-मोहम्मद वैचारिक रूप से तालिबान का करीबी है। कारी रमजान अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद का नवनियुक्त प्रमुख है। इसमें कहा गया है कि निगरानी दल की पिछली रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा को तालिबान को फंड और ट्रेनिंग स्पेशलाइजेशन देने वाला बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एक सदस्य देश के मुताबिक, अफगानिस्तान में मौलवी यूसुफ इसका नेतृत्व कर रहा है।’ एक अन्य सदस्य देश के मुताबिक, अक्टूबर 2021 में एक अन्य लश्कर नेता मौलवी असदुल्लाह ने तालिबानी उप गृह मंत्री नूर जलील से मुलाकात की थी।
'तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण मजबूत किया'
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अन्य सदस्य देश ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रभावी सुरक्षा कदम उठाए जाने के कारण जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की मौजूदगी का कोई सबूत नहीं है। तालिबान के 15 अगस्त को अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद यह Taliban Sanctions Committee के ‘Analytical Support and Sanctions Monitoring Team’ की पहली रिपोर्ट है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने तब से अप्रैल 2022 तक अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण मजबूत किया है, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित 41 व्यक्तियों को कैबिनेट और अन्य वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया है तथा उसने योग्यता से अधिक वरीयता निष्ठा और वरिष्ठता को दी।
'TTP के आतंकियों की संख्या हजारों में होने का अनुमान'
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में सबसे अधिक विदेशी आतंकवादी 'तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान' (TTP) के हैं, जिनकी संख्या हजारों में होने का अनुमान है। अन्य आतंकी संगठनों में ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, जैश-ए-मोहम्मद, जमात अंसारुल्लाह और लश्कर-ए-तैयबा शामिल हैं। इन आतंकी संगठनों के सैकड़ों आतंकवादी इस समय अफगानिस्तान में मौजूद हैं।
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