मध्य-पूर्व में छिड़े संघर्षों पर क्या होगी ट्रंप की पॉलिसी, क्या खत्म होगा इजरायल-हमास युद्ध?
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले डोनाल्ड ट्रंप पर अब पूरी दुनिया की नजरें टिक गई हैं। बात चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध की हो या फिर इजरायल-हमास, इजरायल-हिजबुल्लाह और इजरायल-ईरान संघर्ष की। अब सभी पक्ष ट्रंप के रुख का आकलन करने में जुटे हैं कि युद्धों से घिरी दुनिया में शांति के लिए वेक्या करेंगे?
वाशिंगटनः अमेरिका में ट्रंप की वापसी ने दुनिया में छिड़े संघर्षों पर ट्रंप की संभावित पॉलिसी के आकलन को लेकर हर किसी को उहापोह में डाल दिया है। जनवरी में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप का निर्णय द्वंद की आग में झुलस रहे मध्य-पूर्व पर क्या होगा, क्या वह इजरायल-गाजा संघर्ष और इजरायल-हिजबुल्लाह यु्द्ध खत्म कराने पर जोर देंगे या इजरायल-ईरान संघर्ष को लेकर अमेरिका के आक्रामक रुख से मध्य-पूर्व में छिड़े संघर्ष की चिन्गारी और ज्यादा भड़क उठेगी?...इस पर अभी विशेषज्ञ भी कोई सटीक आकलन करने से बच रहे हैं।
लोग यह भी विचार कर रहे हैं कि ट्रम्प की वापसी क्या इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को गाजा में युद्ध समाप्त करने के लिए मजबूर करेगी या फिर इस अमेरिकी कोई नई पॉलिसी अपनाएगा? अभी सबकुछ भविष्य के गर्त में है। हालांकि अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि इस पूर्व सहयोगी का युद्ध-विरोधी रुख इजरायली प्रधानमंत्री को नए अमेरिकी राष्ट्रपति पद के शुरू होने से पहले ही गाजा में सैन्य अभियान बंद करने के लिए मजबूर कर सकता है।
अमेरिका में चुनाव वाले दिन ही नेतन्याहू ने अपने रक्षामंत्री को क्यों हटाया
बता दें कि 5 नवंबर को जब अमेरिकी मतदाता अपना अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए महत्वपूर्ण वोट डालने को कतार में थे तो ठीक उसी दिन इधर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने देश के रक्षा मंत्री योव गैलेंट को बर्खास्त करने का ऐलान कर रहे थे। उस दिन नेतन्याहू ने कहा था कि "विश्वास के संकट" के कारण उन्होंने यह निर्णय लिया है। इसके बाद विदेश मंत्री इज़राइल काट्ज़ को उनकी जगह रक्षामंत्री का नया जिम्मा सौंपा गया। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि अमेरिकी चुनाव के दिन ही योव गैलेंट का हटाया जाना आखिर क्या संदेश देने के लिए था? हालांकि अभी तक इस सवाल का कोई सटीक अनुमान नहीं लगा पाया है।
नेतन्याहू ने दी क्या प्रतिक्रिया
ट्रंप की जीत के बाद ही पूरे इजरायल में जश्न मनाया गया। नेतन्याहू ने भी ट्रंप को ऐतिहासिक जीत की धुआंधार बधाई दी। अमेरिका-इजरायल के मजबूत संबंधों का इजहार भी किया। मगर गाजा को लेकर सवाल पर नेतन्याहू ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमास के पूरी तरह से खत्म होने से पहले इस बात पर कोई चर्चा नहीं होगी कि गाजा पर शासन कौन करेगा, उन्होंने कहा कि वह "हमास्तान को फतहस्तान से बदलने के लिए तैयार नहीं हैं"।
मोदी और बाइडेन में कई मौकों पर रहा मतभेद
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू का अपने प्रमुख संरक्षक अमेरिका व जो बाइडेन के साथ भी मतभेद रहा है। मई में गाजा में प्रस्तुत युद्धविराम सौदों की पेशकश सहित कई "बाइ़डेन योजना" के बावजूद नेतन्याहू किसी प्रस्ताव के लिए उत्सुक नहीं रहे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि आईडीएफ युद्ध के उद्देश्यों को प्राप्त होने तक गाजा में काम करना और रहना जारी रखेगा। युद्ध शुरू होने के बाद से इस क्षेत्र में 11 बार जा चुके अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी इजरायल को युद्ध बंद करने के लिए मनाने में असमर्थ रहे। 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले के सूत्रधार और हमास प्रमुख याह्या सिनवार की इस साल 16 अक्टूबर को हत्या के बाद भी नेतन्याहू झुकने को तैयार नहीं हैं।
बावजूद ब्लिंकन ने 23 अक्टूबर को अपनी बैठक के दौरान नेतन्याहू से आग्रह किया था कि इज़रायल को हाल के दिनों में हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ अपनी सामरिक जीत का उपयोग करना चाहिए और गाजा में "स्थायी रणनीतिक सफलता" हासिल करनी चाहिए, उन्होंने आगे कहा:बंधकों को घर ले जाएं और आगे क्या होगा इसकी समझ के साथ युद्ध को समाप्त करें।''मगर नेतन्याहू ने अब तक इसे भी नहीं माना है।
यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में इजरायल के खिलाफ असंतोष
इधर यूरोप और दुनिया भर के कई अन्य देशों में इज़राइल के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। खासकर नागरिकों की अंधाधुंध हत्याओं को लेकर। अब तक फिलिस्तीन में 43,000 से अधिक मौतें हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश बच्चे और महिलाएं हैं। गाजा में महत्वपूर्ण मानवीय सहायता को प्रवेश देने से इजरायल के इनकार और गाजा में सहायता वितरित करने के लिए काम करने वाली प्रमुख संयुक्त राष्ट्र एजेंसी UNRWA पर प्रतिबंध लगाने के उसके फैसले की भी तीखी आलोचना हुई है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ट्रंप चाहते हैं युद्ध समाप्त करें नेतन्याहू
ट्रम्प के फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के साथ इज़राइल को उम्मीद है कि ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल की तरह आगे भी समर्थन देते रहेंगे। मगर ट्रम्प युद्धों के विरोधी हैं। मीडिया रिपोर्टों से भी यह संकेत मिलता है कि ट्रम्प ने नेतन्याहू को पहले ही कह दिया है कि वह उनके राष्ट्रपति पद को संभालने से पहले ही गड़बड़ी को दूर करें और युद्ध समाप्त करें। ऐसे में नेतन्याहू अपने देश से लेकर विदेश तक दोनों जगह मुश्किल में फंस गए हैं। रक्षा मंत्री को बर्खास्त करना, युद्ध से निपटने, विशेषकर बंधकों को घर वापस लाने में असमर्थता को लेकर इजरायल के भीतर विरोध और गुस्से की आग है। वहीं ईरान पर मिसाइल हमलों के बाद उन्हें जीत की घोषणा करने और युद्ध समाप्त करने का बड़ा मौका था। मगर ऐसा करने से इनकार करने और अपने "अवास्तविक" युद्ध उद्देश्यों को जारी रखने की जिद ने उन्हें ऐसी स्थिति में डाल दिया है, जहां हर गुजरते दिन के साथ "सम्मानजनक निकास" का विकल्प दूर होता जा रहा है। इस बीच ईरान ने घोषणा की है कि वह 26 अक्टूबर के इजरायली हमले का जवाब देने जा रहा है। यह एक ऐसा कदम जिससे तनाव और बढ़ सकता है।
इज़रायल-हमास युद्ध में इज़रायल का समर्थन
हालांकि नेतन्याहू को सिर्फ इस बात से उम्मीद है कि ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान अक्टूबर 2023 में इज़रायल पर हुए उस हमले के लिए हमास की कड़ी निंदा की थी, जिसमें 1100 से ज्यादा इजरायली मारे गए थे। उन्होंने लगातार इजरायली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यों का समर्थन किया है और उनसे हमास पर निर्णायक जीत हासिल करने का आग्रह किया है। ट्रंप ने फिलिस्तीनी नागरिकों पर युद्ध के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करने वाली अपनी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस के विपरीत इजरायल के दृष्टिकोण के प्रति पूरी तरह से समर्थन व्यक्त किया था। जिसमें बिना किसी प्रतिबंध के अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के इजरायल के अधिकार पर जोर दिया गया है। उनका यह रुख बताता है कि ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से इजरायल को गाजा में अपनी सैन्य कार्रवाइयां तेज करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है।
विशेषज्ञों का अनुमान
वहीं मध्य पूर्व संस्थान के ब्रायन कैटुलिस सहित कई अन्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ट्रम्प की वापसी इज़रायल को अंतरराष्ट्रीय जांच के बिना आक्रामक रूप से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है। ट्रम्प का दृष्टिकोण बाइडेन प्रशासन के विपरीत है, जिसने कई बार नागरिक हताहतों की प्रतिक्रिया में इज़रायल को हथियार वितरण धीमा कर दिया था। उनके पिछले फैसले, जैसे कि अमेरिकी दूतावास को यरूशलेम में स्थानांतरित करना और गोलान हाइट्स पर इजरायल की संप्रभुता का समर्थन करना, इजरायल के साथ उनके गठबंधन का संकेत देता है। साथ ही यह भी संकेत देता है कि ट्रम्प के तहत अमेरिका इसके समर्थन में और अधिक अटल स्थिति अपना सकता है। खैर ट्रंप क्या करेंगे यह सभी अभी भविष्य के गर्त में छुपा है।