अब तक रूस के हितैषी बन रहे चीन ने अधर में ही राष्ट्रपति पुतिन को गच्चा दे दिया है। चालबाज चीन अब पैंतरा बदल रहा है। जिस चीन का अमेरिका से 36 का आंकड़ा था, अब उसी के साथ संबंधों को बहाल करने लगा है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन चीनी दौरे पर थे। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। जिनपिंग ब्लिंकन के अलावा बिल गेट्स से भी मिले थे और कहा था कि अमेरिकियों पर हमारी उम्मीदें टिकी हैं। जिनपिंग ने अमेरिका के साथ चीनी लोगों का दिल का रिश्ता बताकर कड़वाहट दूर करने का प्रयास किया। अब जर्मनी के साथ भी चीन दोस्ती बढ़ा रहा है। जबकि ये दोनों ही देश रूस के कट्टर दुश्मन हैं।
चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग पद ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर जर्मनी पहुंचे हैं। उन्होंने मंगलवार को जर्मन चांसलर ओल्फ शोल्ज से मुलाकात की। इस दौरान वार्ता के एजेंडे में व्यापार, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन युद्ध के मुद्दे प्रमुख से शामिल रहे। यह सातवीं बार है जब बर्लिन में जर्मनी और चीन के बीच उच्च स्तरीय वार्ता हुई है और दोनों देशों के नेताओं की यह बैठक चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन से हुई मुलाकात के एक दिन बाद हुई है, जिससे संकेत मिलता है कि बीजिंग अपने संबंधों को सुधारने के लिए पश्चिमी देशों तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है।
पश्चिमी देशों से सुधार रहा रिश्ते
इस दौरान चीन के रिश्ते पश्चिमी देशों के साथ बिगड़ गए थे, जिसे अब वह सुधारने में जुट गया है। शंघाई के लिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के पूर्व सचिव रहे ली इस साल मार्च में देश के दूसरे शीर्ष अधिकारी के पद पर आसीन हुए। उन्होंने सोमवार को जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टेनमीयर से मुलाकात की और औपचारिक वार्ता से पहले शोल्ज द्वारा चांसलरी में दिए रात्रि भोज में शामिल हुए। जर्मनी अपने सबसे बड़े कारोबारी साझेदार चीन के यूक्रेन के मुद्दे पर रूस की आलोचना करने से इनकार के बावजूद उससे बेहतर संबंध स्थापित करने का इच्छुक है।
जर्मनी ने हाल में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति प्रकाशित की थी जिसमें चीन का उल्लेख ‘‘साझेदार, प्रतिस्पर्धी और व्यवस्थागत प्रतिद्वंद्वी’’के तौर पर किया गया है। शोल्ज ने कहा कि वह चीनियों पर अति-निर्भरता से बचना चाहते हैं और जर्मनी को आपूर्ति किए जाने वाले अहम सामान के आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाना चाहते हैं। उन्होंने इसे चीन से अलग होने के बजाय उसके जोखिम कम करना बताया है। (भाषा)
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