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Hindi News विदेश अमेरिका ऋण सीमा को लेकर बाइडेन और मैक्कार्थी ने अपनाया ये नया रवैया, क्या अब बच पाएगी "अमेरिका की डूबती नैया"?

ऋण सीमा को लेकर बाइडेन और मैक्कार्थी ने अपनाया ये नया रवैया, क्या अब बच पाएगी "अमेरिका की डूबती नैया"?

अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन और केविन मैक्कार्थी एक समझौते पर सहमत हो गए हैं। आइएमएफ को उम्मीद है कि इससे कर्ज में डूबे अमेरिका की स्थिति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।

जो बाइडेन, अमेरिका के राष्ट्रपति- India TV Hindi Image Source : PTI जो बाइडेन, अमेरिका के राष्ट्रपति

कर्ज में डूब रहे अमेरिका को बचाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रतिनिधि सभा के स्पीकर केविन मैक्कार्थी के बीच शनिवार देर रात आखिरकार करार हो गया है। देश की वैधानिक ऋण सीमा बढ़ाने पर ‘सैद्धान्तिक सहमति’ बन गई है। दोनों नेता संघीय खर्च को सीमित करने और अमेरिका को संभावित चूक से बचाने के लिए ‘समझौते’ पर तैयार हो गए हैं। हालांकि, इस समझौते तक पहुंचने के लिए जो रियायतें या शर्तें तय की गई हैं उससे डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पक्षों के नाराज होने का खतरा है। अब देखना होगा कि यह समझौता अमेरिका की डूबती नैया को बचा पाता है या नहीं।

वार्ताकारों ने रिपब्लिकन की खाद्य टिकट के प्राप्तकर्ताओं के लिए काम की बढ़ती जरूरतों पर सहमति जताई है, जिसपर डेमोक्रेट ने हंगामा खड़ा किया है। 5 जून की समयसीमा से पहले संसद की मंजूरी के लिए दोनों पक्षों का इस समझौते पर सहमत होना जरूरी है। मैकार्थी ने कहा कि डेमोक्रेट राष्ट्रपति और रिपब्लिकन स्पीकर दोनों के बीच शनिवार शाम फोन पर बातचीत के बाद समझौते के लिए सहमति बनी है। देश और दुनिया को बेसब्री से अमेरिका और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को खतरे में डालने वाले राजनीतिक गतिरोध के समाधान का इंतजार था।

बाइडेन ने समझौते को अमेरिका के लिए बताया अच्छा

बाइडेन ने शनिवार रात बयान में कहा, ‘‘इस करार तक पहुंचने के लिए ‘समझौता’ करना पड़ा है। इसका मतलब है कि हर किसी को वह नहीं मिलेगा जो वह चाहता है।’’ बाइडेन ने इस समझौते को अमेरिका के लोगों के लिए एक अच्छी खबर बताते हुए कहा कि इससे देश एक ऐसी चूक से बच सकता है जो उसे आर्थिक मंदी में ले जा सकती थी। साथ ही समझौता नहीं होने पर सेवानिवृत्ति खाते प्रभावित होते और लाखों की संख्या में लोगों को नौकरी गंवानी पड़ती।

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