रूस-यूक्रेन युद्ध के करीब 20 महीने हो चुके हैं। मगर अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका है। जिस तरह से ब्रिटेन से लेकर अमेरिका तक और यूरोप व नाटो देश यूक्रेन को लगातार हथियारों की खेप मुहैया कर रहे हैं, उससे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में रूस परमाणु हथियारों का क्या वाकई इस्तेमाल करने की सोच रहा है, क्या पुतिन आखिरी अस्त्र के रूप में परमाणु हथियारों का सहारा ले सकते हैं, क्या पुतिन परमाणु हमले से इस युद्ध का अंत करना चाहते हैं?....इस बारे में अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है। मगर इन तमाम आशंकाओं के बीच अमेरिका ने भी परमाणु परीक्षण करने का खुला ऐलान कर दिया है। इससे तीसरे विश्व युद्ध की आहट काफी नजदीक आती महसूस हो रही है।
हालांकि अमेरिका का कहना है कि उसके पास जो परमाणु हथियारों का भंडार वह कई साल पुराने हैं, इसलिए अब अगले साल नेवादा के रेगिस्तान में यह पता लगाने के लिए इनका परीक्षण किए जाने की तैयारी की जा रही है कि क्या जरूरत पड़ने पर ये काम आएंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन हथियारों के भूमिगत परीक्षण से कोई भी भयावह अनहोनी होने का जोखिम है। राष्ट्रीय रक्षा प्रयोगशालाओं के विशेषज्ञ 1992 में भूमिगत परीक्षण पर प्रतिबंध के बाद से परमाणु हथियारों की प्रभाविता और विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं कर पाए हैं। लेकिन ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि वे नियंत्रित तरीके से और बिना कोई बड़ा परमाणु विस्फोट किए, इन हथियारों का परीक्षण करने की तैयारी कर रहे हैं।
अचानक अमेरिका क्यों करना चाहता है परमाणु परीक्षण
पुराने परमाणु हथियारों को पुनः परीक्षण करने की याद अमेरिका को अचानक यूं ही नहीं आई है, बल्कि इसके पीछे उसे रूस, चीन और उत्तर कोरिया की बढ़ती ताकत का खतरा सता रहा है। पुतिन कई बार यूक्रेन पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दे चुके हैं। ऐसे में अमेरिका भी खुद को किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रखना चाहता है। जिस तरह से विभिन्न देशों ने गत 1 वर्ष के दौरान परमाणु हथियारों की तैयारी को तेज किया है, इससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा और बढ़ गया है। इस परीक्षण का मकसद उन कई अहम सवालों का जवाब देना है कि क्या देश के पुराने परमाणु हथियार अब भी काम के हैं। शीतयुद्ध के दौरान असल में परमाणु विस्फोट करके इन सवालों का जवाब दिया गया था।
1950 और 1960 के दशक में न्यू मेक्सिको और नेवादा के रेगिस्तान में विस्फोट किए गए। बाद में परीक्षण को भूमिगत विस्फोट तक सीमित कर दिया गया और 1992 में यह बंद भी कर दिया गया। ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि 10 साल के काम के बाद परीक्षण के तरीके को आधुनिक बनाया गया है जिसके लिए न्यू मेक्सिको की सैंडिया राष्ट्रीय प्रयोगशाला में कर्मचारियों ने परमाणु हथियारों के औजारों को जोड़ना शुरू कर दिया है। कुछ अन्य प्रयोगशालाएं भी इसमें भूमिका निभाएंगी। (एपी)
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