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Hindi News विदेश अमेरिका झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए; भारत के दबाव के बाद पहली बार UNSC में शामिल हुआ सुधारों का विस्तृत पैराग्राफ

झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए; भारत के दबाव के बाद पहली बार UNSC में शामिल हुआ सुधारों का विस्तृत पैराग्राफ

भारत, सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से किए जा रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है तथा उसका कहना है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं है। उसका मानना है कि यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती।

संयुक्त राष्ट्र।- India TV Hindi Image Source : REUTERS संयुक्त राष्ट्र।

न्यूयॉर्क: कौन कहता है कि एक अकेला पूरी दुनिया नहीं झुका सकता?...यह संभव है, मगर इसके लिए हौसले बुलंद और इराके नेक होने चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 साल में भारत की साख जिस तरह से विश्व के मानस पटल पर बढ़ी है, उसे कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता। पीएम मोदी ने अपने अमेरिका दौरे के दौरान एक संबोधन में कहा था-कि ये आज का भारत है और जब भारत बोलता है तो दुनिया सुनती है। पीएम मोदी की यह बात एक बार फिर सत्य साबित हुई है। अब भारत बोल रहा है और दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएसी) सुन रही है। 

भारत के बार-बार आवाज उठाने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पहली बार दबाव में आया है। नतीजतन पहली बार यूएनएससी में सुधारों की पहल लिखित रूप से शुरू हो गई है। यूएनएससी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता समेत अन्य सुधारों को लेकर पहली बार एक विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया है। भारत ने यूएनएससी की इस पहल की सराहना की है। भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में सुरक्षा परिषद में सुधार पर पहली बार एक विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया जाना एक ‘‘अच्छी शुरुआत’’ है और नई दिल्ली 15 देशों के निकाय में सुधार के लिए एक निश्चित समय सीमा में ‘पाठ आधारित वार्ता’ की शुरुआत की आशा करती है।

पहली बार संयुक्त राष्ट्र को शामिल करना पड़ा विस्तृत पैराग्राफ

उल्लेखनीय है कि ‘पाठ-आधारित वार्ता’ से तात्पर्य किसी समझौते की ऐसी विषय वस्तु तैयार करने की प्रक्रिया से है जिसे स्वीकार करने और जिस पर हस्ताक्षर करने के लिए सभी पक्ष तैयार हों। ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ के पहले दिन रविवार को विश्व नेताओं ने ‘‘भविष्य के समझौते’’ को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया जिसमें ‘‘सुरक्षा परिषद में सुधार करने, इसमें प्रतिनिधित्व बढ़ाने, इसे अधिक समावेशी, पारदर्शी, कुशल, प्रभावी, लोकतांत्रिक और जवाबदेह बनाने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार करने’’ का वादा किया गया। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने काफी समय से लंबित सुरक्षा परिषद सुधारों को लेकर ‘भविष्य के समझौते’ की भाषा को ‘‘अभूतपूर्व’’ बताया है।

विदेश सचिव विक्रम मिस्री से जब पूछा गया कि भारत ‘भविष्य के समझौते’ में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर इस भाषा को किस प्रकार देखता है, उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपका ध्यान केवल इस तथ्य पर दिलाना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार पर पहली बार कोई विस्तृत पैराग्राफ शामिल किया गया है।’’ इसलिए भले ही इसमें हर क्षेत्र का हर वह विवरण नहीं हो जिसकी हम कल्पना करते हैं या हम चाहते हैं कि जिसे होना चाहिए लेकिन मुझे लगता है कि यह एक अच्छी शुरुआत है।’’ मिस्री ने कहा कि भारत ‘‘अंततः एक निश्चित समय-सीमा में पाठ-आधारित वार्ता की शुरुआत की आशा करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इसे उस उद्देश्य की ओर पहला कदम माना जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी की यात्रा को बताया सफल

इस कदम से संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सुधार की संभावनाएं खुली रखी गई हैं, किसी भी दृष्टिकोण से लाभ की स्थिति है।’’ मिस्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिका की ‘‘सफल और अहम’’ यात्रा के बाद सोमवार को स्वदेश रवाना हो गए। इस यात्रा के दौरान मोदी ने डेलावेयर में ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के सदस्य देशों के शासन प्रमुखों के शिखर सम्मेलन में भाग लिया, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, ‘लॉन्ग आइलैंड’ में प्रवासी भारतीयों के एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित किया, प्रौद्योगिकी जगत से जुड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) की गोलमेज बैठक को संबोधित किया, संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘भविष्य के शिखर सम्मेलन’ में अपनी बात रखी और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमिर जेलेंस्की, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास सहित कई विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय चर्चा की।  (भाषा) 

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